Mar 17, 2024

चूड़ियां, जूते बनाती थी फिर कैसरोल से मिली पहचान, आज 13 हजार करोड़ की कंपनी

Ashish Kushwaha

​सेलो ब्रांड​

सेलो ब्रांड स्टेशनरी आइटम्स लेकर घरेलू सामानों तक को बनाता है।

Credit: Cello

​सेलो की शुरुआत​

सेलो की शुरुआत जब 1967 में घीसुलाल राठौर ने मुंबई के गोरेगांव से की थी तो तब ये कंपनी सिर्फ चूड़ियां और जूते बनाती थी

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​शुरुआत में कंपनी के पास 7 मशीनें थी​

शुरुआत में कंपनी के पास 7 मशीनें थी। आज कंपनी स्टेशनरी और किचन सेगमेंट तक के 1700 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाती है और कंपनी की नेटवर्थ 13 हजार करोड़ रुपए तक हो पहुंच गई है।

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​1982 में सेलो ने आधिकारिक तौर पर भारतीय मार्केट में कदम रखा​

1982 में सेलो ने आधिकारिक तौर पर भारतीय मार्केट में कदम रखा। सेलो ने प्लास्टिक हाउसवेयर प्रोडक्ट्स लॉन्च किया।

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विदेश की यात्रा से आया आइडिया

जब एक कंपनी के फाउंडर घीसुलाल अमेरिका गए तो उन्होंने लोगों को छोटे गोल आकार के प्लास्टिक कंटेनरों में खाना रखते देखा।

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​कैसरोल ने दिलाई सफलता​

उन्होंने पाया कि इन प्लास्टिक कंटेनर को लोग घंटों तक खाना गर्म बना रहे इसके लिए इस्तेमाल करते हैं। जो कि कैसरोल था।

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​कैसरोल ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली​

उन्हें यह भारत के लोगों के लिए बहुत उपयोगी लगा इसलिए उन्होंने 1980 के दशक के अंत में इसे भारत में भी लॉन्च किया और सेलो के इस कैसरोल ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली थी।

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1995 में कंपनी ने पेन बनाना शुरू किया

1995 में कंपनी ने पेन बनाने का फैसला किया और सेलो ग्रिपर लॉन्च किया। सेलो 37% हिस्सेदारी के साथ डेली 50 लाख यूनिट पेन बनाता है।

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