लाहौर: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को लाहौर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने उस अदालत को ही असंवैधानिक घोषित कर दिया जिसने परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई थी और उसके फैसले पर भी रोक लगा दी है। जिसके तहत मुशर्रफ को देशद्रोही करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। इस्लामाबाद की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर में यह फैसला सुनाया था।
74 साल के मुशर्रफ के खिलाफ 2013 में तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने दायर किया था। मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के इस हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई करीब 6 साल तक चली थी। इस फैसले को मुशर्रफ द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई जिसके बाद जस्टिस सैयद मजहर अली अकबर नकवी, जस्टिस मोहम्मद अमीर भट्टी और जस्टिस चौधरी मसूद जहांगीर की पीठ ने सोमवार को इस पर अपना फैसला सुनाया।
तीन जजों की पीठ ने विशेष अदालत के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। मुशर्रफ ने अपनी याचिका में लाहौर हाई कोर्ट से आग्रह किया था कि वह विशेष अदालत के उस फैसले को रद्द करे जो अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर दिया गया है।अपनी याचिका में मुशर्रफ ने मांग करते हुए कहा कि इस फैसले को अवैध और असंवैधानिक करार दिया जाए। इससे पहले इमरान सरकार ने भी मौत की सजा पर ऐतराज जताया था।
मुशर्रफ के खिलाफ इस मामले की शुरुआत 1999 से ही हो गई थी, जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर सत्ता हथिया ली थी। तीन साल बाद 2002 में हुए आम चुनाव में वह जीते भी, हालांकि आलोचकों ने इसे धांधली से मिली जीत बताया। मुशर्रफ फिलहाल दुबई में रह रहे हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है।