बीजिंग : चीन में फैला कोरोना वायरस अब तक दुनियाभर में 1,900 जिंदगियां ले चुका है, लेकिन इस पर अब तक काबू नहीं पाया जा सका है। इतने बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने की वजह चीन की चूक को बताया जा रहा है, जिसने पहले तो इस मामले को दबाने का प्रयास किया और फिर जब यह बेकाबू होकर दुनिया के सामने आ गया तो उसने यात्रा प्रतिबंध, लोगों को जागरूक करने सहित अन्य कदम उठाने शुरू कर दिए। बताया जाता है कि अगर उसने शुरू में ही इससे जुड़ी चेतावनियों को अनदेखा नहीं किया होता तो समस्या इतने बड़े पैमाने पर सामने नहीं आती। 'ब्लूमबर्ग' की एक रिपोर्ट में ऐसे 4 अहम मौकों का जिक्र किया गया है, जहां चीन कारगर कदम उठाने से चूक गया :
दिसंबर में सामने आया था पहला मामला
चीन में इस बीमारी का पहला मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था। 9 दिसंबर को एक मरीज में रहस्यमय बीमारी जैसे लक्षण मिलने की बात कही गई थी। कुछ ही दिनों में कई मरीजों में ऐसे लक्षण देखे गए। 30 दिसंबर को एक डॉक्टर ने ऑनलाइन चैट ग्रुप पर अपने किसी परिचित से इसका जिक्र भी किया था। हालांकि तब डॉक्टर खुद इसके नाम को लेकर निश्चित नहीं थे, लेकिन उन्होंने उस ग्रुप में लोगों को आगाह किया था कि वे अपने परिजनों का ध्यान रखें, क्योंकि यह 2002-03 में फैले सार्स से भी अधिक खतरनाक है। लगभग 8 डॉक्टरों की टीम ने इसे लेकर लोगों को आगाह किया था, लेकिन उनकी सुनने की बजाय तब चीन के प्रशासन ने डॉक्टर को उल्टा चेताया था और उन्हें प्रताड़ित भी किया। बाद में उनमें से एक डॉक्टर की कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण जान चली गई।
इंसान से इंसान में फैलने लगा संक्रमण
जनवरी की शुरुआत में 3 जनवरी को ही चीनी विशेषज्ञ ये समझ चुके थे कि यह वायरस तेजी से लोगों में फैल रहा है और इंसानों से इंसान को संक्रमित कर रहा है। इसके बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। चीनी प्रशासन ने 20 जनवरी को इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि की कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैल रहा है। जनवरी समाप्त होने से पहले ही यह वायरस थाइलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया तक फैल चुका था। अब कहा जा रहा है कि अगर जनवरी की शुरुआत में भी चीन ने पुख्ता कार्रवाई की होती तो आज यह स्थिति नहीं होती।
शी जिनपिंग के बयान का इंतजार
कोरोना वायरस को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 22 जनवरी को सार्वजनिक तौर पर बयान दिया। चीनी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद हुबेई प्रांत में 6 करोड़ लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने, उन्हें उनके घरों, ठिकानों में ही अलग-थलग रखने का आदेश जारी किया गया, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। अब माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के लिए जनवरी के आखिर तक राष्ट्रपति के औपचारिक बयान का इंतजार किया गया, जबकि इस संबंध में निर्णायक कार्रवाई पहले ही होनी चाहिए थी, जब 7 जनवरी को ही शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को वायरस पर नियंत्रण के लिए आंतरिक आदेश जारी किए गए थे।
सरकारी टीवी की रिपोर्ट की अनदेखी
चीन में सरकारी टीवी ने 9 जनवरी को ही हुबेई की प्रांतीय राजधानी वुहान में जो दर्जनों लोगों के निमोनिया जैसे लक्षण से पीड़ित होने की बात कही थी। सरकारी टीवी में यह भी कहा गया कि कोरोना वायरस सार्स, मर्स वायरस जैसा ही है। जाहिर तौर पर तब तक कोरोना वायरस की भयावहता का अंदाजा लग चुका था, लेकिन चीनी प्रशासन ने इसे भी गंभीरता से नहीं लिया। 18 जनवरी को वुहान में चीनी नववर्ष को सेलिब्रेट करने के लिए सामूहिक रात्रिभोज का आयोजन किया गया था, जिसमें 40 हजार से अधिक परिवार शामिल हुए। कहा जा रहा है कि है जब इस संक्रामक बीमारी की भयावहता का पता चल गया था तो पहले ही लोगों को एक जगह एकत्र होने से रोकने की जरूरत थी।