काठमांडू : दुनिया को अहिंसा का संदेश देने वाले बुद्ध आज खुद जगह-जगह हिंसा का शिकार हो रहे हैं। अफगानिस्तान में करीब दो दशक पहले जब तालिबान ने बुद्ध की मूर्तियां तोड़ दी थी तब इस घटना ने पूरी दुनिया को आहत किया था। इसके बाद दुनिया के कई हिस्सों में ऐसी घटनाएं हुईं और आतंकियों व अराजक तत्वों ने बुद्ध की मूर्तियों को निशाना बनाया। यह बेहद दुखद है कि बदलते हालात और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में यहां-वहां हो रही हिंसा के बीच बुद्ध उस जगह भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं, जहां उनका जन्म हुआ था।
बुद्ध का जन्म लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था, जो मौजूद समय में नेपाल के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में है। लुंबिनी के निकट कुछ अज्ञात लोगों ने बुधवार को बुद्ध की पांच प्रतिमाओं को खंडित कर दिया। यह घटना नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 265 किलोमीटर दूर रूपांदेही जिले के तिलोत्तमा नगर निकाय में हुई, जो लुंबिनी के पास है। पुलिस का कहना है कि कुछ अज्ञात लोगों ने शंकर चौक के पास नया मिल के निकट सड़क किनारे लगी बुद्ध की प्रतिमाओं को तोड़ दिया। बुद्ध की ये प्रतिमाएं बैठी हुई मुद्रा में थीं और इन्हें सीमेंट, लाइमस्टोन व बालू से बनाया गया था। इनमें से प्रत्येक मूर्ति का भार करीब 120 किलोग्राम था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अराजक तत्वों ने इस वारदात को सामाजिक व धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने के मकसद से अंजाम दिया। इस बीच नेपाल में इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। नेपाली कांग्रेस के नेता बालकृष्णा खंड ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, जिस नगर निकाय में ये घटना हुई, वहां के मेयर ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। तिलोत्तमा नगर निकाय ने अपने क्षेत्र के अंतर्गत बुद्ध की 22 मूर्तियां लगवाई थीं, जिनमें से कुछ को अब तोड़ दिया गया है।
नेपाल में हुई यह घटना अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बुद्ध की मूर्तियों को तोड़े जाने की याद दिलाती है। अफगानिस्तान के बामियान में तालिबान ने बुद्ध की वह प्रतिमा तोड़ दी, जो दुनिया में बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा हुआ करती थी। बलुआ पत्थर से निर्मित इस प्रतिमा को 2001 में नष्ट कर तालिबान ने न केवल पूरी दुनिया को गहरा सदमा दिया था, बल्कि इससे आगे चलकर इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों का भी मनोबल बढ़ा, जिन्होंने इराक और सीरिया में बड़े पैमाने पर पुरातात्विक स्थलों को नुकसान पहुंचाया।
अब नेपाल में लुंबिनी के करीब हुई इसी तरह की घटना ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर अराजक तत्वों का हौसला किस कदर बढ़ता जा रहा और इन बेजुमान मूर्तियों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें क्या हासिल हो सकेगा?