एअर इंडिया के नाम से हम सब वाकिफ हैं। करीब 68 साल बाद दोबारा टाटा सन्स ने इसे खरीद लिया। हालांकि, इस एयरलाइंस का इतिहास तरीबन 90 साल पुराना है। इतना ही नहीं आप सबने इस एयरलाइंस की पहचान बन चुके मस्कट या शुभंकर 'महाराजा' को भी कई बार देखा है। लेकिन, कभी सोचा है उनकी मूंछे ऐसी क्यों है? हो सकता है कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी, जबकि कुछ लोगों ने इसके बारे में सोचा भी नहीं होगा। आज हम आपको इसके पीछे की कहानी बताएंगे।
एअर इंडिया को 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एअरलाइंस नाम से लॉन्च किया था। वहीं, 1946 में इसका नाम एअर इंडिया हो गया।
उस वक्त ये सोचा गया कि एअर इंडिया का कोई मस्कट भी होना चाहिए, जो इसकी पहचान बन सके। लेकिन, वो मस्कट क्या होगा इसे लेकर कुछ साफ नहीं था।
इसकी जिम्मेदारी एयर इंडिया के कमर्शियल डायरेक्टर एसके कूका को दी गई। कूका ने इसे लेकर आर्टिस्ट उमेश राव से बात की, जो एड एजेंसी में काम करते थे।
काफी सोच विचार के बाद ये तय किया गया कि मस्कट ऐसा होना चाहिए, जो राजसी तो दिखे लेकिन शाही ना हो। साथ ही उसमें एक पैसेंजर फ्रेंडली और घुमक्कड़ छवि भी नजर आनी चाहिए।
इसके अलावा उसमें अनोखापन के साथ-साथ भारतीयता की झलक भी हो। सबकुछ तय हो गया, लेकि मूछें कैसी होंगी इसका जवाब नहीं मिल रहा था। ऐसे में पाकिस्तान के एक बड़े उद्योगपति इसके लिए प्रेरणा बने।
लाहौर के रहने वाले सैयद वाजिद अली साहिब वो कूका और टाटा के एक दोस्त भी थे। उनकी पर्सनैलिटी काफी रौबीली थी और मूछें भी जबरदस्त थीं।
संयोग से वो उसी समय मुंबई में बॉबी कूका के पास आए। उन्हें देखते ही कूका को उनके मस्कट महाराजा की मूछें मिल गईं। जिसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि उनका महाराजा भी लंबी और रोबीली मूंछों वाला मुस्कुराता हुआ दिखाई देगा। 1946 में ये मस्कट एयर इंडिया के मुंबई स्थित ऑफिस में कटआउट के तौर पर लगा दिया गया। धीरे-धीरे ये 'महाराजा' ही एअर इंडिया की पहचान बन गया।
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