जयविलास पैलेस का निर्माण हिंदू मराठा वंश महाराजा जयाजी राव सिंधिया ने करवाया था। 19वीं शताब्दी का यह महल राजा की विलासता और आधुनिक सोच का जीता-जागता उदाहरण है।
इस पैलेस का वास्तुकार माइकल फिलोस थे, जिन्होंने दरबार के हॉल को बड़े ही नायाब तरीके से बनाया था।
यह महल 12,40,771 वर्गफुट में फैला है और इसमें तीन मंजिले हैं। सिंधिया परिवार का वर्तमान निवास यही महल है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह महल विरासत में मिला था। बताया जाता है कि इस महल का निर्माण प्रिंस जॉर्ज और वेल्स की राजकुमारी मैरी के स्वागत लिए साल 1874 में किया गया था। जब वे 1876 में भारत यात्रा पर आए थे।
उस समय महल की कीमत 1 करोड़ रुपए थी और आज इसकी कीमत 4 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।
महल की हर मंजिल को एक अलग थीम के साथ डिजाइन किया गया है। महल की पहली मंजिल टस्कन है, दूसरी इटालियन-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन और पल्लाडियन डिजाइन से प्रेरित है।
हॉल के इंटीरियर को 560 किलो सोने से सजाया गया है। यहीं पर राजा सभाएं किया करते थे। हॉल का डिजाइन नियोक्लासिकल और बारेक शैलियों से प्रभावित है।
इस महल में चांदी से बनी एक ट्रेन चलती थी, जो बैंक्वेट हॉल में खाने की टेबल के किनारे पर एक ट्रैक के साथ चलती थी। इसका इस्तेमाल मेहमानों के लिए ब्रांडी और सिगार सर्व करने के लिए किया जाता था।
इस महल में 400 कमरे हैं, जिसमें से 35 को म्यूजियम में बदल दिया गया है। इस महल में चांदी के रथ, पालकी, पुरानी लक्जरी कारों का अद्भुत संग्रह है।
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