May 22, 2022
By: Shivam Pandeyकम बजट में रोमांच, नेचर के करीब रहने और शांति के लिए आप भूटान जा सकते हैं। हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसा ये देश रहस्य और कथाओं से भरा हुआ है।
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भूटान में बर्फीले पहाड़, हरे- भरे मैदान के साथ घने लेकिन मनभावन जंगल सब कुछ है। साथ ही यहां कई बौद्ध मठ भी हैं जो यहां आने वाले टूरिस्टों को अपनी ओर खींचते हैं।
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तकशांग लहखांग यानी टाइगर नेस्ट के नाम से मशहूर बौद्ध मठों का ये समूह पारो घाटी में स्थित है। करीब 900 मीटर की ऊंचाई पर एक दुर्गम पहाड़ी और घाटियों के बीच से यहां पहुंचा जा सकता है। ये भूटान का राष्ट्रीय स्मारक भी है।
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टाइगर नेस्ट में कई नेशनल पार्क मिलेंगे जहां भूटान का राष्ट्रीय जानवर टाकिन, हिम तेंदुए, काली गर्दन वाले सारस और टाइगर देखे जा सकते हैं।
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पर्यटन के लिहजा से भूटान का पारो शहर बेहद खास है। यहां आपको घूमने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। एक दिन में आप इस शहर के आधे पर्यटन स्थल को भी नहीं देख सकते। यहां तीन दिन का समय लेकर आएं। नदी किनारे बसा ये शहर बहुत सी खूबसूरतियों को समेटे हुए है।
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बौद्ध मठों, स्तूपों को देखने और समझने का शौक है तो दोचूला पास जरूर आएं। राजधानी थिंपू से पुनाखा के रास्ते पर 25 किलोमीटर दूर दोचूला पास पड़ता है। यहां का बौद्ध मंदिर एवं 108 स्तूपों का समूह देखना अद्भुद लगेगा।
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प्राकृतिक छंटाओं से भरा हा वैली पारो से 67 किलोमीटर दूर स्थित है। प्रकृति के दिलकश नज़ारों से भरा ये शहर अपनी अनटच नेचुरल ब्यूटी के लिए प्रसिद्ध है। ठंडी हवा के झोंके और पहाडि़यों पर लहराते रंग-बिरंगी लहराती बौध पताकाएं बेहद ही खूबसूरत लगती हैं।
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पुनाखा जोंग में भूटान का सबसे बड़ा और प्रमुख बौद्ध मंदिर भी है। यहां आने के बाद आपको यहां से जाने काम मन ही नहीं करेगा। भूटान जाने के लिए वीज़ा की जरूरत नहीं है। हालांकि, अपने साथ पासपोर्ट या वोटर आईडी कार्ड और दो पासपोर्ट साइज फोटो जरूर होना चाहिए।
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भूटान के लिए दिल्ली से फ्लाइट्स चलती है। अप्रैल से जुलाई या सितंबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा होता है। सड़क मार्ग से भूटान जाने वाले पर्यटकों को भारत-भूटान सीमा पर स्थित भूटानी शहर फ़ुनशोलिंग से टूरिस्ट परमिट लेकर आगे बढ़ना होगा
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