इस पवित्र नगरी की स्थापना 16वीं सदी में सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने की थी। यहां हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।
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अमृतसर का नाम पवित्र अमृत सरोवर के नाम पर रखा गया है। रामदास जी के बाद उनके उत्तराधिकारी गुरु अर्जुन देवजी ने साल 1601 में इस शहर का विकास किया था। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर, जलियावाला बाघ और वाघा बॉर्डर जैसे स्थान हैं।
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अमृतसर की यात्रा स्वर्ण मंदिर के अंदर हरमिंदर साहिब में मत्था टेकेने और लंगर खाए बिना पूरी नहीं मानी जाती है। स्वर्ण मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में पांचवें सिख गुरु अर्जुन देव जी ने करवाया था। इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंका हुआ है।
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स्वर्ण मंदिर के अलावा गोविंदगढ़ फोर्ट घूमने की बेहतरीन जगह है। फोर्ट में सांस्कृतिक शो का भी आनंद ले सकते हैं। यहां पर भांगड़ा, मार्शल आर्ट्स का आयोजन होता है। इसके अलावा लाइट और साउंड शो यहां का मुख्य आकर्षण है।
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अमृतसर स्थित जलियांवाला बाघ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धरोहर है। इसी जगह जनरल डायर ने निहत्थे मासूम लोगों को गोलियों से भून दिया था। जलियांवाला भाग की दीवारों में आज भी गोलियों के निशान है।
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स्वर्ण मंदिर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है भारत पाकिस्तान की वाघा बॉर्डर। बीटिंग रिट्रीट और चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी को देखने यहां हर रोज बड़ी संख्या में पर्यटकों के साथ ही आम लोग भी पहुंचते हैं।
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स्वर्ण मंदिर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर हिंदुओं का प्रसिद्ध दुर्गियाना मंदिर स्वर्ण मंदिर की ही तरह दिखता है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। साल 1908 में हरसई मल कपूर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
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म्यूजियम लायन ऑफ पंजाब महाराज रंजीत सिंह को समर्पित है। इस म्यूजियम में महाराजा रंजीत सिंह की बहादुरी और शौर्य से भरपूर गतिविधियों को दिखाया गया है।
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अमृतसर लजीज खाने के लिए भी मशहूर है। छोले कुलचे, छोले भटूरे, लस्सी, फालूदा कुल्फी को चखना बिल्कुल भी न भूलें।
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अमृतसर शॉपिंग के लिए भी बेहतरीन जगह है। पटियाला सूट, पंजाबी जूतियां और सिख धर्म से जुड़ी कई चीजें आप खरीद सकते हैं।
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