May 12, 2022
कुंडली में नव ग्रहों की दशा कभी-कभी दोष उत्पन्न करती है। इन्हीं दोषों में से एक पितृ दोष है जिसका कुंडली में होना अशुभ माना गया है।
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कई ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, अगर किसी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार ना किया गया हो या किसी भी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति के परिवार वालों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है।
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कहा जाता है कि पूर्वजों द्वारा किए गए अशुभ कार्य का दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ता है। पितरों द्वारा किए गए कर्मों को अगर कोई व्यक्ति नहीं करता है या फिर अपने पितरों को कोसता रहता है तो पितर नाराज होकर श्राप देते हैं।
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अगर कोई व्यक्ति पीपल, नीम या बरगद के पेड़ को कटवा देता है या फिर नाग की हत्या करता है तो उसे पितृ दोष लग सकता है।
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अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती है। अगर ऐसे व्यक्ति की संतान है तो वह विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन निकलती है।
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अगर नौकरी या व्यवसाय में जी तोड़ मेहनत करने के बावजूद भी हानि हो रही है तो इसे पितृ दोष का लक्षण माना गया है।
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अगर किसी व्यक्ति के परिवार में हमेशा झगड़ा होता रहता है या फिर कोई व्यक्ति हमेशा बीमार रहता है तो यह भी पितृ दोष का लक्षण हो सकता है।
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अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो लगाकर रोजाना माला चढ़ाना चाहिए।
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पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक भोजन करवाना चाहिए और दान देना चाहिए।
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पितृ दोष के निवारण के लिए दक्षिण दिशा में रोजाना शाम को दीपक जलाएं। अगर रोजाना नहीं जला सकते तो पितृ पक्ष में जरूर जलाएं।
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