May 16, 2022
By: Bhagya Yadavहिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। एकादशी तिथि पर व्रत रखना भगवान विष्णु के भक्तों के लिए लाभदायक माना गया है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है।
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जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
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वर्ष 2022 में जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 जून को है। यानी इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
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10 जून को निर्जला एकादशी सुबह 7:25 से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 11 जून को शाम 5:45 पर समाप्त हो जाएगी।
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मान्यताओं के अनुसार, वर्ष में पड़ने वाले सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। लेकिन जो व्यक्ति यह व्रत रखता है उसे सुख, शांति, समृद्धि, धन, यश, वैभव, ऐश्वर्य और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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निर्जला एकादशी का पहला नियम है कि इस दिन पानी पीना वर्जित है। व्रत प्रारंभ होने से लेकर पारण तक व्रत में पानी नहीं पिया जाता है।
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निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे लोगों को दशमी तिथि से तामसिक भोजन, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। दशमी तिथि के सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए ताकि पेट खाली रह सके और पेट में अन्न मौजूद ना हो।
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एकादशी व्रत का पारण हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत का पारण हमेशा हरिवासर के बाद किया जाता है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि के बाद नहीं करना चाहिए।
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अगर आप यह एकादशी व्रत रख रहे हैं तो इस दिन अपने मन को शांत रखें और क्रोध करने से बचें। इस दिन किसी के बारे में बुरा ना सोचें और सबका सम्मान करें।
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अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो एकादशी तिथि से पहले दशमी तिथि पर जमीन पर सोएं। अगले दिन यानी एकादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाएं और स्नान कर लें।
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