May 20, 2021
दाल हमारी रुटीन डाइट का हिस्सा है। इसे सादा या तड़का देकर भी बना सकते हैं। लेकिन दाल को बनाने से पहले इसे कुछ देर भिगोकर रखें।
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दाल पकाने से पहले भिगोने की आदत कम ही लोगों की होती है। राजमा, छोले जैसी दालों को तो रात भर भिगोने की जरूरत होती है मगर दूसरी दालों को लोग भिगोना छोड़ देते हैं। लेकिन दाल भिगोने के कई फायदे हैं और यह बहुत जरूरी है।
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कुछ दालें शरीर में गैस और सूजन पैदा करती हैं। दाल में फाइटेट्स और लेक्टिन होते हैं जो वास्तव में कोलेस्ट्रॉल को कम करके और शरीर में गैस पैदा करने वाले तत्वों को खत्म करके लाभ पहुंचा सकते हैं।
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हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार लेक्टिन और फाइटेट युक्त खाद्य पदार्थों को भिगोना और उबालना इनको बेअसर कर सकता है। साथ ही पाचन समस्याओं को भी कम कर सकता है।
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दाल भिगोने से शरीर में मिनरल अब्सॉर्ब रेट में वृद्धि होती है। जब आप दाल को भिगोते हैं तो फाइटेज नामक एंजाइम एक्टिव हो जाता है। फाइटेज फाइटिक एसिड को तोड़ने और कैल्शियम, आयरन और जिंक को बांधने में मदद करता है।
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दाल भिगोने से एमाइलेज नामक एक यौगिक भी सक्रिय होता है। जो दाल में जटिल स्टार्च को तोड़ता है और पाचन क्रिया में मदद करता है।
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दाल भिगोने से गैस पैदा करने वाले यौगिक हट जाते हैं। अधिकांश फलियों में जटिल ओलिगोसेकेराइड होते हैं, जो एक प्रकार की जटिल चीनी है। ये सूजन और गैस के लिए जिम्मेदार होती है। भिगोने से चीनी की मात्रा काफी कम हो जाती है और गैसीय परेशानियों से बचाव करती है।
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सबसे पहले दाल को एक बर्तन में निकाल लें और पानी से धो लें। पानी को 3-4 बार बदलें और उंगलियों से रगड़ कर धीरे-धीरे दाल को धो लें।
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अब दाल को एक बर्तन में डालिये और पानी से भर दीजिये। दाल को हम 30 मिनट से 2 घंटे तक भीगने दे सकते हैं। हाालंकि साबुत दालों को 2 घंटे के लिए ही भिगोया जाना चाहिए।
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दाल भिगोने की प्रक्रिया न केवल कॉम्प्लेक्स कार्ब्स को तोड़ती है। बल्कि इसे पकाने में लगने वाले समय को भी कम करती है।
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