Oct 1, 2023
सातों महाद्वीपों में से सबसे ठंडा महाद्वीप अंटार्कटिका महाद्वीप है। वह सबसे दुर्गम और मानव-बस्तियों से सबसे दूर स्थित है।
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यह सालभर दुनिया के सबसे अधिक तूफानी समुद्रों और बर्फ के बड़े-बड़े तैरते पहाड़ों से घिरा रहता है। उसका कुल क्षेत्रफल 1.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है।
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अंटार्कटिका पर अभी किसी देश का दावा नहीं है, न ही विभिन्न देशों के कुछ वैज्ञानिक शिविरों के सिवा वहां कोई मानव बस्तियां ही हैं।
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यहां भारत द्वारा स्थापित प्रथम पड़ाव का नाम था दक्षिण गंगोत्री। जब यह पड़ाव पानी के नीचे आ गया, तो मैत्री नामक दूसरा पड़ाव 1980 के दशक में स्थापित किया गया।
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क्षेत्रफल की दृष्टि से यह आस्ट्रेलिया से बड़ा है। अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है, इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान भी माना जाता है। आस्ट्रेलिया से भी बड़ाक्षेत्रफल की दृष्टि से यह आस्ट्रेलिया से बड़ा है। अंटार्कटिका में बहुत कम बारिश होती है, इसलिए उसे ठंडा रेगिस्तान भी माना जाता है।
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अंटार्कटिका इसलिए अहम है क्योंकि यहां वैज्ञानिकों ने वहां पृथ्वी की चुंबकीय विशेषताओं, मौसम, सागरीय हलचलों, जीवों पर सौर विकिरण के प्रभाव और भूगर्भ विज्ञान से संबंधित अनेक प्रयोग किए हैं।
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जब मनुष्यों ने 1820 में अंटार्कटिका की पहली झलक देखी, तो कई देशों ने तुरंत इस पर अपना दावा किया, जिससे काफी तनाव पैदा हो गया। तब इसे लेकर एक संधि बनाई गई जिस पर कई देश सहमत हुए।
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दुनिया का अविश्वसनीय 60-90% ताजा पानी अंटार्कटिका की विशाल बर्फ की चादर में बंद है। अंटार्कटिक बर्फ की चादर पृथ्वी पर सबसे बड़ी है।
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अंटार्कटिका में कुछ बार सूरज हरे रंग का दिखाई पड़ा है। दरअसल, बढ़ते मॉस (Moss) के कारण सूरज से लेकर चट्टानें और कई भूभाग हरे दिखाई पड़ते हैं। बता दें कि मॉस एक फूल रहित, बीजाणु पैदा करने वाला पौधा है। इसी के प्रभाव में कई चीजें हरी दिखाई देती हैे।
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हालांकि अंटार्कटिका में बारिश का स्तर कम है, मौसम संबंधी चमत्कार बहुत होते हैं जिनमें से एक है हीरे की धूल। जैसे ही बर्फ के क्रिस्टल हवा में लटकते हैं, सूरज की रोशनी उन्हें चमका देती है, जो लाखों छोटे तैरते हीरों जैसा दिखता है।
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