स्पेस से लौटकर हिल जाती है अंतरिक्ष यात्रियों के दिमाग की वायरिंग, झेलते हैं खतरनाक बदलाव
Amit Mandal
अंतरिक्ष यात्रियों का पूरा शरीर बदल जाता है
स्टडी से पता चला है कि स्पेस ट्रैवल कर चुके अंतरिक्ष यात्रियों का पूरा शरीर बदल जाता है। यहां तक कि उनका ब्रेन और DNA तक में बदलाव महसूस होने लगते हैं।
Credit: NASA
मस्तिष्क पर असर
अंतरिक्ष में रहने का मस्तिष्क पर क्या असर होता है, ये समझने के लिए एक खास तकनीक तैयार हुई, जिसे ट्रैक्टोग्राफी नाम मिला। ये ब्रेन इमेजिंग तकनीक है, जो न्यूरॉन्स में हल्के से हल्के बदलाव को दिखाती है।
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ब्रेन करता है अलग तरीके से काम
स्टडी में पता चला कि स्पेस पर पहुंचने पर वहां की बेहद खतरनाक रेडिएशन से बचने के लिए ब्रेन अलग तरह से काम करने लगता है जिसे न्यूरोप्लासिसिटी कहते हैं।
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री-वायर्ड हो जाता है ब्रेन सिस्टम
लगभग 6 महीने स्पेस में वक्त वहां बिताने के बाद ब्रेन का ये सिस्टम री-वायर्ड हो जाता है और धरती पर लौटने पर भी आसानी से बदल नहीं पाता।
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क्या बदलाव दिखते हैं?
धरती पर लौटने के बाद स्पेस ट्रैवलर चलने, बैलेंस बनाने में मुश्किलों का सामना करते हैं।
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बोलने और लोगों से मिलने-जुलने में दिक्कतें
ज्यादातर अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक बोलने और लोगों से मिलने-जुलने में दिक्कत झेलते हैं, यहां तक कि लगभग सभी की आंखें काफी कमजोर पाई गईं।
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डिप्रेशन में रहते हैं
यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मार्स 500 नाम से एक साइकोसोशल प्रयोग किया। साल 2007 से पांच चले प्रयोग में पता चला कि स्पेस से लौटने के बाद लंबे समय तक यात्री डिप्रेशन में रहते हैं।
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हिंसक भी हो जाते हैं
यहां तक कि अंतरिक्ष से लौटे यात्री हिंसक भी हो जाते हैं। ज्यादातर लोग अपने-आप से बात करने लगते हैं।
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स्पेस व्हीकल को तबाह करने का आया ख्याल
लौटे हुए कई यात्रियों ने बताया कि वहां रहते हुए वे इतने आक्रामक हो गए कि स्पेस व्हीकल को तबाह करके सभी को खत्म कर देने की सोचा करते थे।
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