धरती से 20 अरब किमी. दूर जा पहुंचा ये स्पेसक्राफ्ट, आज भी भेज रहा संदेश
Amit Mandal
ब्रह्मांड के ओर-छोर का पता नहीं
अंतरिक्ष की दुनिया बेहद रहस्यमयी है और हमें ब्रह्मांड के ओर-छोर का कोई पता नहीं है। वैज्ञानिक लगातार इसके राज तलाशने में जुटे हैं।
Credit: NASA
इंसानी चमत्कार है वोएजर
इंसान की खोजी फितरत ने ही जन्म दिया है दुनिया के सबसे महान अंतरिक्ष अभियान वोएजर को, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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1977 में रवाना हुए वोएजर-1 और 2
1977 में अगस्त और सितंबर महीने में अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा ने दो अंतरिक्ष यान धरती से रवाना किए थे। इन्हीं का नाम था वोएजर एक और दो।
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सेंटर केप कनावरल से छोड़ा गया
वोएजर-2 को 20 अगस्त को अमरीकी स्पेस सेंटर केप कनावरल से छोड़ा गया था, वहीं वोएजर-1 को पांच सितंबर को रवाना किया गया था।
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आज 20 अरब किमी. दूर
आज दोनों अंतरिक्ष यान धरती से अरबों किलोमीटर की दूरी पर हैं। वोएजर-1 तो अब हमारे सौर मंडल से भी दूर यानी करीब 20 अरब किलोमीटर दूर जा चुका है। वहीं वोएजर-2 ने करीब 17 अरब किलोमीटर का सफर तय कर लिया है।
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धरती पर संदेश आने-जाने में लगते हैं 38 घंटे
ये दूरी इतनी है कि वोएजर-1 से धरती पर संदेश आने जाने में करीब 38 घंटे लगते हैं। रेडियो सिग्नल 6 सेकेंड में एक किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, यानी रौशनी की गति से चलते हैं।
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वोएजर-2 से लगते हैं 30 घंटे
वहीं वोएजर-2 से धरती तक संदेश आने में 30 घंटे लगते हैं। आज 46 साल बाद भी दोनों यान काम कर रहे हैं और इंसानियत तक ब्रह्मांड के तमाम राज पहुंचा रहे हैं।
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सैटेलाइट डिश से सिग्नल पकड़ता है नासा
आज नासा दुनिया भर में बड़ी-बड़ी सैटेलाइट डिश लगाकर वोएजर से आने वाले सिग्नल पकड़ता है।
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शून्य, अंधेरे और सर्द माहौल के सिवा कुछ नहीं
इस मिशन से शुरुआत से जुड़े हुए वैज्ञानिक एड स्टोन के मुताबिक, आज वोएजर एक ब्रह्मांड में इतनी दूर है, जहां शून्य, अंधेरे और सर्द माहौल के सिवा कुछ भी नहीं।
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बृहस्पति पर शुरू किया अभियान
लॉन्च के 18 महीने बाद यानी 1979 में वोएजर 1 और 2 ने जुपिटर यानी बृहस्पति ग्रह पर अभियान शुरू किया। दोनों स्पेसक्राफ्ट ने सौर मंडल के इस सबसे बड़े ग्रह की बेहद साफ और दिलचस्प तस्वीरें भेजीं।
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