May 24, 2024
1979 तक ईरान एक उदार मुस्लिम देश था। लेकिन इसी दौर में एक शख्स ने इस देश का इतिहास ही बदल डाला। नाम था रुहोल्लाह खामेनेई।
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रुहोल्लाह खामेनेई को ईरान में इस्लामी क्रांति का जनक माना जाता है। इसी शख्स ने ईरान को एक उदार मुस्लिम देश से कट्टर शिया देश बना दिया। उनके बाद कमान संभाली उनके बेटे अयातुल्लाह खामेनेई ने।
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रुहोल्लाह का नाता यूपी के बाराबंकी से था। दरअसल, रुहोल्लाह के दादा सैयद अहमद मुसावी हिंदी का जन्म बाराबंकी के पास हुआ था और वह 1830 में ईरान चले गए थे।
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शिया धर्मगुरु सैयद अहमद मुसावी के पोते रुहोल्लाह खामेनेई को 1979 की ईरानी क्रांति का जनक कहा जाता है। उन्होंने अयातुल्ला के उच्च पद की स्थापना की और उदार ईरान को हमेशा के लिए एक धार्मिक देश में बदल दिया।
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खामेनेई के दादा सैयद अहमद मुसावी हिंदी 1830 में बाराबंकी से ईरान चले गए थे। वह ईरानी शहर खोमेन में उतरे। उन्होंने खोमेन में तीन महिलाओं से शादी की और उनके पांच बच्चे थे। इनमें से एक रुहोल्लाह खामेनेई (जन्म 1902) के पिता मुस्तफा भी थे।
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उस समय ईरान कजार वंश के शासन के अधीन था। अहमद हिंदी की मौत 1869 में हुई। उन्हें कर्बला में दफनाया गया। इसी दौर में मुस्तफा की हत्या स्थानीय जमींदार के आदेश पर कर दी गई जब अयातुल्लाह खामेनेई सिर्फ पांच महीने के थे।
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युवा खामेनेई जल्दी ही शिया इस्लाम की शिक्षाओं की ओर आकर्षित हो गए। 1960 और 1970 के दशक के दौरान ईरान बड़े पैमाने पर उथल-पुथल से गुजरा। खामेनेई एक मजबूत धार्मिक नेता के रूप में उभरे।
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उन्होंने ईरान के शासक शाह की नीतियों के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था। इस्लामी मूल्यों की ओर लौटने और एक धार्मिक ईरान की स्थापना का आह्वान किया।
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ईरानी क्रांति से एक साल पहले 1978 में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ आने के साथ ही शाह पर दबाव बढ़ गया। देश थम गया और खामेनेई ने मौके का पूरा फायदा उठाया।
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1979 की इस्लामी क्रांति में शाह को उखाड़ फेंका गया और खामेनेई नायक बन गए। ईरान में इस्लामी गणराज्य की स्थापना की गई, और इस्लामी कानून लागू हो गए। उनके बाद अयातुल्लाह खामेनेई ने कमान संभाली।
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