May 3, 2023
जब कभी हम ट्रेन से यात्रा करते हैं, तो इस दौरान कई स्टेशन आते हैं। रेलवे स्टेशनों के नाम पीले रंग के बोर्ड पर लिखे होते हैं। लेकिन, कभी सोचा है कि आखिर स्टेशनों के नाम केवल पीले रंग के बोर्ड पर ही क्यों लिखे जाते हैं। इसमें दूसरे रंग का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता?
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कुछ लोग इसके बारे में जरूर जानते होंगे, जबकि कईयों ने इस ध्यान भी नहीं दिया होगा।
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जो लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, वो आज जान लें कि आखिर रेलवे ऐसा क्यों करता है?
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दरअसल, पीले रंग की वेवलेंथ तीसरे नंबर पर है। जिस रंग की वेवलेंथ जितनी लंबी होती है उसे उतनी ही दूर से देखा जा सकता है। पीला रंग काफी चमकदार होता है, जो ट्रेन के ड्राइवर को दूर से ही दिख जाता है।
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इस रंग को बारिश, कोहरे या धुंध में भी पहचाना जा सकता है। लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है।
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इसके अलावा पीला रंग ठहरने का भी संकेत देता है। पीले रंग के बोर्ड ट्रेन के लोको पायलट को गति धीमी करने और सतर्क रहने के संकेत देते हैं।
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वहीं, पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से स्टेशनों के नाम लिखे जाते हैं।
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ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि, कलर कॉन्ट्रास्ट की वजह से काला रंग पीले पर ज्यादा उभर कर आता है और दूर से साफ-साफ दिखता है।
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बोर्ड पर लिखे शब्दों का पढ़ने में मुश्किल नहीं होती है। ट्रेन चलाते वक्त लोको पायलट को दूर से ही बोर्ड और उस पर लिखे शब्द दिखने लगते हैं और वह उसी के हिसाब से ट्रेन की गति बढ़ाने, घटाने या ब्रेक लगाने का काम करता है।
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