किशन गुप्ता
May 3, 2023
जब भी आप इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदते होंगे तो आपने देखा होगा कि उसके प्लग या चार्जर में 2 या 3 पिन ही होती है।
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कभी आपने इस विषय में सोचा कि आखिर सभी में 2 या फिर 3 पिन ही क्यों नहीं दे दी जाती?
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ध्यान दिया जाए तो छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे- मोबाइल फोन और कैमरों के लिए दो-पिन प्लग का इस्तेमाल किया जाता है।
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वहीं, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे- रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और वाशिंग मशीन के लिए तीन-पिन प्लग का इस्तेमाल किया जाता है।
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टू-पिन की बात की जाए तो इसका इतिहास भारत की आजादी से जुड़ा हुआ है।
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आजादी के पहले भारत में तीन-पिन प्लग और सॉकेट होते थे। लेकिन आजादी के बाद इसे दो-पिन में तब्दील किया गया।
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इसका मुख्य कारण था कि जिन स्थानों और दूरदराज के गांवों में बिजली की उचित व्यवस्था ना हो, वहां बिजली की कम खपत करने के लिए ऐसा किया गया।
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वहीं, तीन-पिन की बात की जाए तो यह इलेक्ट्रिकल आउटलेट के टाइप और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के सेफ्ट्री स्टैंडर्ड पर निर्भर करती है।
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BIS के अनुसार, 5 एम्पीयर से अधिक बिजली की खपत करने वाले सभी डिवाइस के लिए तीन-पिन प्लग का उपयोग करना अनिवार्य होता है।
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