रंग खेलकर ही क्‍यों मनाई जाती है होली, असली वजह सुनकर चौंक जांएगे​

Shaswat Gupta

Mar 23, 2024

​होली 2024​

इस वर्ष होली का पर्व 25 मार्च 2024 को मनाया जाना है। होली पर लोग एक-दूसरे पर जमकर अबीर और गुलाल उड़ाते हैं। इस त्योहार को पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

Credit: Social-Media/Istock

​क्या आप जानते हैं​

क्‍या आपको मालूम है होली पर रंगों की बारिश क्‍यों की जाती है। क्‍यों रंगों के बिना होली अधूरी है। अगर आप नहीं जानते हैं तो आज हम आपको बताएंगे।

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​होली का श्रीकृष्‍ण कनेक्‍शन​

रंग-गुलाल की यह परंपरा राधा और कृष्ण के प्रेम से हुई थी। मान्‍यता है कि, श्रीकृष्‍ण बचपन में माता यशोदा से अपने सांवले और राधारानी के गोरे होने की शिकायत करते थे। जब कान्‍हा अपने श्‍याम रंग के बारे माता से करते तो वे हंसती थीं।

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​माता का सुझाव​

माता यशोदा ने कुछ रंग बनाकर श्रीकृष्‍ण को सौंपे और सुझाव दिया कि, जिस रंग में वे राधारानी को देखना चाहते हैं वो रंग राधारानी के मुख पर लगा दें। इस पर श्रीकृष्‍ण ने राधारानी को अन्‍य ग्‍वालों ने मिलकर गोपियों को रंगों से सराबोर कर दिया।

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​ब्रज का उत्‍सव​

ब्रज में उत्‍सव कान्‍हा की इस हरकत ने ब्रजवासियों का दिल जीत लिया और उनकी ये शरारत गांव वालों को इतनी पसंद आई कि तब से ब्रज में होली का उत्‍सव शुरू हो गया। ये परंपरा आज भी निभाई जाती है। यही वजह है कि बरसाने और ब्रज की होली विश्‍व भर में फेमस है।

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​राधा-कृष्‍ण के प्रेम की निशानी​

होली के इस पावन पर्व को कुछ लोग राधा-कृष्‍ण के प्रेम की निशानी के तौर पर भी मनाते हैं। खासकर प्रेमी जोड़ों के लिए ये त्‍योहार बेहद खास होता है। समय के बदलाव के साथ ही इस पर्व में रंगों के साथ पानी भी जुड़ गया। तब से पानी और रंग दोनों का होली में म‍हत्‍व माना जाने लगा।

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​भारत में होली के प्रकार​

फाल्‍गुन मास की होली तो प्रमुख है ही। इसके अलावा भारत में हर प्रदेश में होली अलग-अलग समय पर 13 प्रकार से मनाई जाती है। जैसे हरियाणा में देवर-भाभी होली, पंजाब में होला मोहल्‍ला इत्‍यादि।

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​रंगों का वैज्ञानिक महत्‍व​

होली में रंग खेलने का वैज्ञानिक महत्‍व भी है। कहा जाता है कि, होलिका दहन के अगले दिन से चैत्र मास शुरू होता है और इसमें जीवाणुओं के सक्रिय होने का खतरा होता है। ऐसे में वायमुंडल में रंगों की मौजूदगी जीवाणुओं का नाश करती है। इतना ही नहीं रंग लगने के बाद उसे छुड़ाते समय शरीर की सफाई भी अच्‍छे से होती है।

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​डिस्‍क्‍लेमर​

ये जानकारी प्रचलित कथाओं, मान्‍यताओं और किंवदंतियों पर आधारित है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इनकी पुष्टि नहीं करता है। रंगों की जानकारी भी वायरल दावों पर आधारित है। इसलिए इनका प्रयोग डॉक्‍टरों की सलाह पर ही करें।

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