Sep 6, 2024
भारतीय रेलवे देश की लाइफलाइन है। रोजाना करोड़ों लोगों को सफर कराने वाली रेलवे से सफर करने के दौरान यात्रियों को कई ऐसी चीजें दिखती हैं जिनके बारे में TTE तक नहीं बता पाते।
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सफर के दौरान जब आप रेलवे ट्रैक पर अलमारी जैसे बॉक्स देखते होंगे तो आपको भी जानने की इच्छा होती होगी कि, ये बॉक्स क्या काम करते हैं ? आज हम आपको इसकी वजह के बारे में बताएंगे।
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रेलवे ट्रैक के किनारे लगे इन बॉक्स को ‘एक्सल काउंटर बॉक्स (Axle Counter Box)' कहते हैं। जो कि, हर तीन से पांच किमी की दूरी पर लगाए जाते हैं।
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एल्युमिनियम के ये बॉक्स रेलवे ट्रैक पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगाए जाते हैं। इन बक्सों की मदद से ही हादसे के बाद ट्रेन के मिसिंग कोच की जानकारी ली जाती है।
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एक्सल बॉक्स के अंदर एक स्टोरेज डिवाइस होती है जो ट्रेन की पटरी से कनेक्टेड होती है। ये बक्सा ट्रेन की बोगी के दोनों पहियों को जोड़कर रखता है जिसकी मदद से ही डिवाइस ट्रेन के पहियों की गिनती कर पाती है।
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इस बॉक्स के अंदर लगी डिवाइस ट्रेन के पहिए गिनती है जिससे हर 5 किमी पर ये पता लग सके कि, उतने ही पहिए आगे गए हैं जितनों का डाटा पिछले एक्सल बॉक्स में रिकॉर्ड हुआ था। यानी ये बॉक्स ट्रेन के गुजरते ही पहिए गिनकर डाटा अगले बॉक्स को भेज देता है।
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यदि ट्रेन के पहियों की संख्या कम मिलती है तो वो 'एक्सल काउंटर बॉक्स' ट्रेन को रोकने के लिए आगे के सिग्नल को रेड कर देता है।
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ट्रेन दुर्घटना या ट्रेन के डिरेल होने पर भी यही एक्सल काउंटर बॉक्स काम में आते हैं। ये ट्रेन के गुजरते ही ये बता देते हैं कि, कितने पहिए कम हैं। सूचना पाकर रेलवे विभाग को ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिल जाती है जिससे उनको जांच में मदद मिलती है।
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इतने बड़े मैकेनिज्म से भारतीय रेलवे यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखता। अब अगर कोई आपसे ये सवाल पूछे तो उसे जवाब जरूर दीजिएगा।
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