​बनारस, काशी और वाराणसी में क्‍या अंतर है, 99% लोग नहीं जानते​

Shaswat Gupta

Apr 15, 2025

​​काशी का महत्‍व​​



काशी यानी बनारस/वाराणसी को भारत के आध्यात्मिक और सांसारिक मूल्यों का प्रतीक कहा जाता है। गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित काशी विश्‍वनाथ मंदिर 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से एक है। आज हम आपको इसके नाम का रहस्‍य बताने वाले हैं।

Credit: Istock/Social Media

​​बनारस, काशी और वाराणसी​​



काशी को कुछ लोग बनारस तो कुछ लोग वाराणसी के नाम से जानते हैं। मगर क्‍या आपको पता है कि बनारस, काशी और वाराणसी में क्‍या अन्‍तर है ? अगर आपको इसके बारे में नहीं पता है तो आज हम बताते हैं।

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​​बनारस को जानें​​



दंतकथाओं के मुताबिक, काशी का सबसे प्रसिद्ध नाम बनारस पाली भाषा के बनारसी से उद्धृत है। मुगलों और फिर अंग्रेजों के शासन काल में इसका नाम बनारस ही था। माना जाता है, ये नाम बनार नाम के राजा से जुड़ा है, जो मोहम्मद गोरी के हमले के दौरान यहां मारा गया था।

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​​मुगल भी हो गए थे हैरान​​



बनारस एकमात्र शहर ऐसा रहा जहां जीवन के अलग रंगों को देखकर मुगल भी हैरान हो गए थे। इन्‍हीं रंगों का कायल होने के बाद मुगलों ने इस शहर का नाम बनारस रखा था।

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​​काशी और उसका अर्थ जानें​​


बनारस का सबसे पुराना और प्राचीन नाम काशी है, दावा है कि ये नाम करीब 3 हजार साल से बोला जा रहा है। धार्मिक ग्रन्‍थों में आपको ये नाम पढ़ने को मिल जाएगा। काशी को कई बार कशिका भी कहा जाता है। काशी का अर्थ होता है 'चमकना।' मान्‍यता है कि, भगवान शिव की नगरी होने के कारण यह शहर हमेशा चमकता रहता है।

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​​वाराणसी और नदियों का सम्‍बन्‍ध​​

बौद्ध जातक कथाओं और हिन्‍दू पुराणों के मुताबिक, वाराणसी एक प्राचीन नाम भी है। वाराणसी दो नदियों 'वरूण' और 'असी' के नाम से उद्धृत है, जो इस शहर से होकर गुजरती हैं। यूं तो कई छोटी और बड़ी नदियां इस शहर से होकर गुजरती हैं, लेकिन इन दोनों नदियों का शहर से अलग लगाव है।

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​​ऐसे पड़ा वाराणसी नाम​​

15 अगस्त, 1947 से पहले भी बनारस के राजा विभूतिनारायण सिंह थे। स्‍वतन्‍त्रता मिलने के बाद जब रियायतों का विलय हो रहा था, तब महाराजा ने अपनी रियासत के भारत में विलय के पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। जब उत्तर प्रदेश बना तो टिहरी गढ़वाल, रामपुर और बनारस की रियासतों को इसमें मिला दिया गया। इस तरह, 24 मई 1956 को शहर का नाम बदल दिया गया।

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​​काशी के अन्‍य नाम​​

काशी के सिर्फ यही तीन नाम नहीं हैं और भी कई हैं। जैसे- आनन्‍दकानन, महासंशन, रूद्रवा, कशिका, मंदिरों का शहर, त्रिपुरारिराजनगरी, तपस: स्थली, ज्ञान का शहर। इनके अतिरिक्त भी कुछ स्‍थानों पर और भी प्राचीन नाम मिलते हैं। जैसे- शंकरपुरी, जितवारी, आनंदरूपा, श्रीनगरी, गौरीमुख, महापुरी, तपस्थली, धर्मक्षेत्र, अर्लकपुरी, जयंशिला, पुष्पावती, पोटली, हरिक्षेत्र, विष्णुपुरी, शिवराजधानी, कसीनगर, काशीग्राम।

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​​डिस्‍क्‍लेमर​​

यह जानकारी प्राचीन मान्‍यताओं, किंवदंतियों, जातक कथाओं, बौद्ध कथाओं से प्रेरित है। किसी भी जानकारी को सच मानने या अमल में लाने से पहले इतिहासकारों से सलाह अवश्‍य लें अथवा अन्‍य पुख्‍ता साक्ष्‍यों का अवलोकन जरूर करें। टाइम्‍स नाउ नवभारत इन तथ्‍यों की पुष्टि नहीं करता है।

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