Jun 24, 2023
भारत विविधताओं का देश है और यहां पर नदियां भी विविध प्रकार की हैं।
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इस नदी का नाम है कर्मनाशा नदी और ये उत्तर प्रदेश-बिहार में बहती है। ये सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी से होते हुए ये गंगा नदी में मिल जाती है।
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वैसे तो लोगों में नदी किनारे घाट जाने का शौक होता है, लेकिन इस नदी के आसपास भी कोई नहीं भटकता है।
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कर्मनाशा नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जिसके पास शुभ कार्य से पहले भी लोग नहीं जाते हैं ।
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कर्मनाशा नदी को काफी लोग शापित मानते हैं।
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कर्मनाशा नदी के शापित होने के पीछे एक पौराणिक वजह बताई जाती है।
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कहा जाता है, राजा सत्यव्रत ने गुरु वशिष्ठ से शरीर के साथ स्वर्ग जाने की इच्छा जताई थी। उनके इंकार पर राजा ने गुरु विश्वामित्र के समक्ष अपनी इच्छा जताई और वशिष्ठ से शत्रुता व तपस्या के बल पर उन्होंने सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग भेज दिया।
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राजा सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग में देख इंद्रदेव भड़क गए और उन्हें उल्टा लटकाकर वापस भेज दिया। आसमान में उल्टे लटके रहने के कारण राजा के मुंह से लार बहने लगी और इसी से नदी बन गई।
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सत्यव्रत की इस हरकत के लिए गुरु वशिष्ठ ने उन्हें श्राप दे दिया और अब तक लोग इस नदी को शापित मानते हैं।
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