​ये है दुनिया की अनोखी रामायण..बिस्मिल्‍लाह से हुई है इसकी शुरुआत​

Shaswat Gupta

Jan 10, 2024

​ऊं से शुरुआत​

हिन्‍दू धर्म ग्रंथों की शुरुआत ज्‍यादातर ऊं या श्री गणेशाय नम: से होती है।

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​यहां रखी है फारसी रामायण​

लेकिन यूपी के रामपुर की रजा लाइब्रेरी में एक फारसी रामायण भी रखी है।

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​ऐसे हुई शुरुआत​

फारसी भाषा की इस रामायण की शुरुआत बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम से हुई है।

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दरअसल, सुमेरचंद ने 1713 में संस्कृत में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद किया था।

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​इसने कराया अनुवाद​

बता दें कि, मुगल बादशाह फर्रुखसियर के कहने पर ये अनुवाद किया गया था।

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​ये है विशेष बात​

खास बात तो है कि, फारसी भाषा में लिखी गई इस रामायण में स्याही की जगह सोने की पानी का प्रयोग किया गया है।

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​258 फोटो​

फारसी भाषा में अनुवादित इस रामायण में मुगल शैली में बने 258 चित्रों का इस्तेमाल किया गया है।

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​रामायण में तीन खंड​

इस रामायण में आपको बाल खंड, सीता हरण और हनुमत मिलन नामक खंड मिलेंगे। प्रत्‍येक का वर्णन इसमें खूबसूरती से किया गया है।

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​पीएम मोदी ने की थी गिफ्ट​

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 2016 में अपने ईरान दौरे पर इस रामायण की प्रति वहां के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भेंट की थी।

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