Aug 19, 2023
भारत में नदियों का इतिहास काफी ज्यादा समृद्ध है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, रावी, गोदावरी समेत लगभग हर नदी के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा है।
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आज हम आपको गंगा नदी के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, गंगा नदी पहले स्वर्ग में निवास करती थीं इसके बाद उनको धरती लोक पर लाया गया।
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गंगा माता मैना और हिमालय की पुत्री थीं। भारतीय लोग गंगा को मां का दर्जा देते हुए इनकी पूजा भी करते हैं। सुरलोक में जब देवताओं की नजर गंगा पर पड़ी तो वे उन्हें विश्व कल्याण के लिए अपने साथ ले गए।
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हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त कराने के लिए राजा भागीरथ ने मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण लिया। इसके बाद उन्होंने कठिन तपस्या की।
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राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा पृथ्वी पर आने तैयार हो गईं, लेकिन वे बोलीं कि स्वर्ग से पृथ्वी पर आने को वेग इतना धरती सहन नहीं कर पाएगी और संपूर्ण धरती पाताल में चली जाएगी।
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इस समस्या से निजात पाने को भागीरथ ने भगवान शिव की उपासना की। तब शिव जी ने प्रसन्न होकर इस समस्या का हल निकाला और गंगा को अपनी जटाओं में कैद कर लिया।
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काफी आग्रह के बाद भगवान शिव ने गंगा को एक पोखर में छोड़ा तब गंगा सात धाराओं में विभक्त हो गईं। तब से गंगा की धारा शिवजी की जटाओं से प्रवाहित होती है।
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भारत में गंगा काफी पवित्र नदी मानी जाती है। गंगा का उद्गम उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री से होता है जिसके बाद ये बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। उत्तराखंड के अलावा ये उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों से होकर बहती है।
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गंगा नदी का हिन्दू मान्यताओं में पौराणिक महत्व भी है। ये दुनिया की इकलौती ऐसी नदी जिसका जल कभी खराब नहीं होता और इसके जल से घर का कोना-कोना शुद्ध हो जाता है।
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