भारत में हर धर्म, जाति, विचार के लोग रहते हैं। इसके अलावा विभिन्न संस्कृतियों के लोग भारत में निवास रहते हैं, जिनकी वेशभूषा, खानपान तथा मान्यताएं एक दूसरे से भिन्न हैं।
आज हम आपको भारत में रहने वाली एक ऐसी जनजाति के बारे में बताने जा रहें हैं, जिस जनजाति में शादी के बाद दुल्हन नहीं बल्कि दूल्हे की विदाई होती है।
मेघालय में एक जनजाति निवास करती है, जिसका नाम खासी है। खासी जनजाति 'मातृसत्तात्मक समाज' पर यकीन करता है।
खासी जनजाति की लड़कियों को विशेष अधिकार मिले हुए हैं। इस समुदाय में परिवार की संपत्ति पर पहला अधिकार लड़कियों का होता है।
इस समुदाय की लड़कियों को अपना साथी चुनने की पूरी आजादी होती है। यहां की लड़कियां अपनी मर्जी के लड़के से शादी कर सकती हैं।
खासी समुदाय की सबसे खास बात यह है कि यहां किसी भी तरह के दहेज की व्यवस्था नहीं है। वहीं लड़कियां जब भी चाहें अपनी मर्जी से किसी भी वक्त अपनी शादी तोड़ सकती हैं।
इस समुदाय में महिलाएं एक से ज्यादा पुरुषों के साथ रिश्ता रख सकती हैं। खासी महिलाओं के कई जीवनसाथी होते हैं। इसलिए बच्चों को पिता की जगह माता का नाम मिलता है।
जहां पितृसत्तात्मक समाज मेें लड़कों के जन्म होने पर लोग खुशी मनाते हैं, वहीं इस समुदाय में ऐसा नहीं होता है। यहां लड़कियों के जन्म होने पर लोग खुशियां मनाते हैं।
खासी समुदाय में छोटी बेटी को संपत्ति का सबसे ज्यादा हिस्सा मिलता है। उसी को माता-पिता, अविवाहित भाई-बहनों की देखभाल करनी पड़ती है।
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