Apr 2, 2024
लक्षद्वीप के बाद अब कच्छतीवू टापू का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इसे लेकर लोगों में खासी जिज्ञासा भी देखी जा रही है।
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कच्छतीवू को लेकर भारत में जबरदस्त बहस छिड़ी है कि, कांग्रेस के शासनकाल में भारत के इस हिस्से को श्रीलंका को दे दिया गया।
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खैर, अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें 235 एकड़ में फैला कच्छतीवू रामेश्वरम से 25 किमी दूर है। ये नाम ट्रेंड करते ही लोग यहां जाने के तरीके खोज रहे हैं।
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आज हम आपको बताएंगे कि क्या इस द्वीप पर जाने के लिए वीजा या पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है ?
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गूगल मैप पर एक यूजर ने बताया कि, श्रीलंका से सबसे दूर का द्वीप है और जाफना में कुरीकाडुवान जेट्टी से 45 किमी दूर स्थित है। कच्छतीवू तक पहुंचने के लिए 4 घंटे की नाव यात्रा करनी पड़ती है।
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BBC की रिपोर्ट में बताया गया कि, 20वीं सदी की शुरुआत में रामनाथपुरम (रामनाड के राजा) ने यहां एक मंदिर का निर्माण कराया था और थंगाची मठ के एक पुजारी इस मंदिर में पूजा करते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने इस द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया।
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फरवरी-मार्च के महीने में प्रतिवर्ष यहां एक हफ्ते तक प्रार्थना होती है। भारत और श्रीलंका दोनों के ईसाई पुजारी एक सेवा का संचालन करते हैं और दोनों देशों के लोग इस वार्षिक उत्सव में शामिल होते हैं।
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गूगल मैप पर एक यूजर ने बताया कि, कच्छतीवू पर केवल चर्च उत्सव पर ही लोग जा सकते हैं। वहीं, एक रिपोर्ट में ये भी पता चला कि, पिछले वर्ष 2,500 भारतीयों ने उत्सव के लिए रामेश्वरम से कच्छतीवू का दौरा किया था।
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वैसे आपको बता दें कि, भारत और श्रीलंका सरकार के बीच कच्छतीवू द्वीप को लेकर एक समझौता हुआ था। विकिपीडिया के मुताबिक, इस समझौते में कहा गया था कि, कच्छतीवू आने के लिए भारतीय पासपोर्ट श्रीलंकाई वीजा की आवश्यकता नहीं है।
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