Apr 12, 2024
आप सभी नेशनल हाईवे रात में सफर तो किया ही होगा। इस दौरान कई चीजें हाईवे पर ऐसी होती हैं जो दिखती तो हैं लेकिन उनको लगाने की वजह नहीं पता चल पाती है।
Credit: Social-Media/Istock
ऐसी ही एक चीज होती है सड़क पर लगे रिफलेक्टर्स, जो कि रात में चमकते रहते हैं। वहीं, कुछ रिफलेक्टर्स जलते-बुझते भी दिखाई पड़ते हैं।
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क्या आपने इन रिफलेक्टर्स को देखकर कभी ये सोचा है कि आखिर इन रिफलेक्टर्स में लाइट कहां से आती है ? आखिर रोड रिफलेक्टर्स में कौन सा मैकेनिज्म यूज़ होता है ?
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सड़क के बीच लगे रिफ्लेक्टर्स को रोड स्टड भी कहा जाता है। साइकिल के पेडल की तरह दिखने वाले स्टड चमकते रहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं, जिनमें से एक को एक्टिव रिफलेक्टर्स और दूसरे को पेसिव रिफलेक्टर्स कहा जाता है।
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एक्टिव रिफलेक्टर्स लाइट से काम करते हैं। इनमें लाइट के जरिए एलईडी जलती रहती है। रात होने पर ये खुद ही जलती हैं और दिन में बंद रहती हैं।
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पेसिव रिफलेक्टर्स रेडियम वाले रिफलेक्टर्स होते हैं। इनमें दोनों तरफ रेडियम की पट्टी लगी होती है और जब अंधेरे में वाहनों की लाइट पड़ते ही ये चमकने लगते हैं। लाइट न जलने के बावजूद ऐसा लगता है कि, इनमें लाइट जल रही है। ये बिना किसी इलेक्ट्रिसिटी या तार के काम करते हैं।
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लाइट वाले रिफलेक्टर्स में सौलर पैनल व एक बैटरी लगी होती है। ये दिन में सौर ऊर्जा से चार्ज हो जाती है और रात में खुद ही जलने लगती है। इनको तार की जरूरत नहीं होती है। ये भी कह सकते हैं कि ये जमीन पर लगी सोलर लाइट है।
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इन रिफलेक्टर की लाइट्स को कोई भी व्यक्ति जलाता या बुझाता नहीं है। ये ऑटोमेटिक होती हैं। लाइट में लगे एलडीआर और सेंसर द्वारा काम करती हैं।
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दरअसल, रात यानी अंधेरा होते ही ये सेंसर के माध्यम से खुद ही जल जाती हैं। वहीं, दिन होने पर खुद ही बंद हो जाती हैं। ऐसा ही एक सिस्टम कई जगह आपको स्ट्रीट लाइट में भी देखने को मिलेगा।
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