हर शुभ कार्य में क्यों बांधते हैं हाथ में कलावा, धार्मिक परंपरा या वैज्ञानिक कारण..​

किशन गुप्ता

Nov 4, 2023

हर शुभ कार्य में बांधा जाता है कलावा

कलावा के बारे में तो आप सभी जानते ही हैं। हर शुभ कार्य में इसे लोग हाथ में बंधवाते हैं। बचपन से ही हमें सिखाया भी यही गया है कि हाथ में कलावा बांधना चाहिए।

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कलावा बांधने के पीछे का कारण..

जब कभी भी घर में पूजा पाठ होता है तो पूजा के अंत में पंडित जी हाथ में कलावा बांधते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा इसके पीछे क्या कारण है?

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क्या है कलावा का अर्थ

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कलावा या मौली का अर्थ है- सबसे ऊपर।

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क्या है पौराणिक मान्यता..

कहा जाता है कि जब इंद्र जी वृत्रासुर से युद्ध करने जा रहे थे तब इंद्राणी ने इंद्र जी की दाहिनी भुजा के कलाई पर रक्षा-कवच के रूप में कलावा बांधा था और इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए।

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आज तक चली आ रही है परम्परा

उसी के बाद से ही रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा आज तक चली आ रही है। इसी रक्षा सूत्र को कलावा कहा जाता है।

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कलावा बांधने से देवताओं की बरसती है कृपा

शास्त्रानुसार कलावा बांधने से मनुष्य को भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

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कलावा बांधने के पीछे का वैज्ञानिक कारण..

वैज्ञानिक कारण देखें तो कलावा बांधने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे गंभीर रोगों से कलावा बचाने में सहायक है। प्राचीन काल में वैद्य लोग इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में इसे बंधवाते थे।

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कलाई में ही होता है सारा नियंत्रण

शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, डॉक्टर भी हार्ट बीट सुनने और उसकी गति मापने के लिए कलाई की नस ही पकड़ते हैं।

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​एक्यूप्रेशर का काम करता है कलावा ​

इसीलिए वैज्ञानिक तौर पर हाथ में कलावा बांधा जाता है, जो शरीर के लिए एक एक्यूप्रेशर का काम करता है।

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