Oct 20, 2022
हिमाचल प्रदेश का कुछ इलाका है, जहां दिवाली देश में तय तारीख से एक महीने बाद मनाई जाती है।
Credit: Social-Media
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में गिरिपार, शिमला में कुछ गांव तथा कुल्लू के निरमंड में दिवाली एक महीने बाद मनाई जाती है।
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जिन जगहों पर दिवाली एक महीने बाद मनाई जाती है, उसे बूढ़ी दिवाली कहते हैं।
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इन इलाकों में हर साल दिवाली एक महीने बाद ही मनाई जाती है। यह पुरानी परंपराओं का हिस्सा है।
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बूढ़ी दिवाली के दौरान यहां मेले का आयोजन होता है। इसके अलावा यहां के लोग इस दिन स्थानीय लोकगीत और नृत्य के कार्यक्रम करते हैं। इसमें परोकड़िया गीत, भयूरी स्वांग और विरह गीत शामिल हैं।
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इस इलाकों में देर से दिवाली मनाने के पीछे एक मान्यता है। बताया जाता है कि यहां पर भगवान राम के वन से वापस आने की खबर एक महीने बाद पहुंच पाई थी। इस कारण यहां के लोग एक महीने बाद दिवाली मनाते हैं।
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पहाड़ी लोगों ने जब भगवान राम के वन से वापस आने का सुखद समाचार सुना था तो उन्होंने देवदार और चीड़ की लकड़ियों की मशालें जलाकर अपनी खुशी जाहिर की और खूब नाच-गाना किया था।
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हिमाचल के गिरिपार में मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली को ‘मशराली’ के नाम से जाना जाता है।
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हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के कई गांवों में तो बूढ़ी दिवाली का त्योहार पूरे एक हफ्ते तक मनाया जाता है।
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