Jun 24, 2023
दिल्ली का चांदनी चौक लहंगा-साड़ी, कपड़ों, मसालों, या फिर पुरानी चीजों की खरीदारी के लिए काफी फेमस बाजार है।
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चांदनी चौक के नाम के बारे में वैसे तो कई वजह बताई जाती हैं, लेकिन हम आपको इसके मुगल कनेक्शन के बारे में बताएंगे।
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दिल्ली पर बादशाहत के दौरान शाहजहां ने अपनी बेटी जहांआरा के लिए चांदनी चौक का निर्माण कराया था।
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1650 में चांदनी चौक बनाना शुरू किया गया। शाहजहां की इच्छा के मुताबिक, इसे चौकोर आकार दिया गया। इसके बीच के भाग को खाली रखा गया ताकि यमुना नदी का पानी आए।
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बताते हैं कि, जिस दिन पूरा बाजार बनकर तैयार हुआ था, उसी दिन यमुना नदी पर चांद की रोशनी पड़ी थी, इसी के बाद से बाजार को चांदनी चौक के नाम से जाना जाता है।
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इसकी खूबसूरती और सामान की सुलभता को देखते हुए देशभर के व्यापारियों को इस बाजर ने आकर्षित किया।
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लगभग एक किलोमीटर तक फैली चांदनी चौक में सभी दुकानें मिलाकर तकरीबन 1500 दुकानें हुआ करती थीं।
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समय के बदलाव हुआ और चौक के चार हिस्से हुए। इन्हें उर्दू बाजार, जोहरी बाजार, अशरफी बाजार और फतेहपुरी बाजार नाम दिया गया।
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इस बाजार में हर धर्म का ध्यान रखा गया। यहां पर दिगंबर जैन लाल मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, आर्य समाज दीवान हॉल, सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च और गुरुद्वारा शीशगंज साहिब है।
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