Jan 5, 2023
शायद की कोई ऐसा होगा, जिसने वड़ा पाव का नाम ना सुना हो। लोग इस डिश के बड़े चाऊ से खाते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो वड़ा पाव खाने के लिए मुंबई तक पहुंच जाते हैं। लेकिन, कभी सोचा है कि वड़ा पाव की खोज कब, किसने और कैसे की? हो सकता है कुछ लोगों को इसके बारे में जानकारी हो, जबकि कई लोग इस पर गौर ना किए हों। तो आज हम आपको बताएंगे आखिर वड़ा पाव की खोज किसने, कैसे और कहां की?
Credit: Social-Media
वड़ा पाव का इतिहास 57 साल पुराना है। इस डिश को बनाने का श्रेय पूरी तरह अशोक वैद्य नाम के शख्स को जाता है।
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दरअसल, 1966 में शिवसेना ने जब मुंबई में पैर पसारने शुरू किए, तो अशोक वैद्य भी उसके कार्यकर्ता बन गए।
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शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने सभी कार्यकर्ताओं से कहा कि वो कुछ ना कुछ काम धंधा जरूर करें।
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बाल ठाकरे की बातें सुनकर अशोक वैद्य ने दादर रेलवे स्टेशन पर बटाटा वड़ा का स्टॉल शुरू कर दिया।
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कुछ समय बीत जाने के बाद अशोक वैद्य की नजर एक ऑमलेट बनाने की दुकान पर पड़ी।
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उन्होंने पास की एक दुकान से कुछ पाव खरीदे और उन्हें बीच से काट दिया। इसके बाद उन्होंने पाव के दोनों हिस्सों पर लाल मिर्च-लहसुन की सूखी-तीखी चटनी और हरी मिर्च लगाई और बीच में वड़ा रखकर लोगों को खिलाना शुरू किया।
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अशोक वैद्य का यह प्रयोग लोगों को काफी पसंद आया और देखते ही देखते पूरे राज्य में वड़ा पाव फेमस हो गया।
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वड़ा पाव की लोकप्रियता को देखते हुए कुछ साल बाद कई अन्य लोगों ने भी इसे बेचना शुरू कर दिया। साल 1998 में अशोक वैद्य के निधन के बाद उनके बेटे नरेंद्र ने उनकी इस विरासत को संभाला और वड़ा पाव को देश में हर व्यक्ति तक पहुंचाया।
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