Nov 11, 2023
8 नवंबर की रात जयपुर से दिल्ली आ रही एक स्लीपर बस में गुरुग्राम एक्सप्रेस वे पर आग लग गई।
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ड्राइवर कूदकर फरार हो गया। कुछ मिनट के भीतर 2 यात्रियों की जलकर मौत हो गई और 12 लोग झुलस गए।
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अक्सर स्लीपर बसों के हादसे का शिकार होने की खबरें आती रहती हैं। इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं।
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आमतौर पर 2x1 भारतीय स्लीपर बसों 30 से 56 सीटें होती हैं। मल्टी एक्सल कोचों में सीटों की संख्या 40 तक होती है।
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सभी सीटों की लंबाई 6 फीट और चौड़ाई 2.6 फीट होती है। लेकिन समस्या गैलरी में कम स्पेस की वजह से खड़ी होती है।
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ऐसी बसों में हादसे के दौरान गैलरी से निकलने की जगह कम होती है। इस वजह से कैजुअलटी बढ़ जाती है।
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ज्यादातर बसें रात में 300 से 1000 किमी का सफर तय करती हैं। ऐसे में कई बार हादसे ड्राइवर को झपकी आने के चलते होते हैं।
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ऐसे में रात को स्लीपर सीट पर सो रहे यात्रियों को रिस्पॉन्ड करने में वक्त लगता है और फिर हादसा भयावह रूप ले लेता है।
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चीन में स्लीपर बसें गंभीर हादसे का शिकार हो रही थीं। इस वजह से 2012 के बाद इनके रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई।
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रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के अलावा किसी भी देश में इतनी बड़ी संख्या में स्लीपर बसें नहीं चलती हैं।
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