Oct 5, 2023
कभी गौर किया है कि बीयर किसी भी ब्रांड का हो पर उसकी बोतलें हरे और भूरे रंग की ही होती हैं।
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शुरुआत में बीयर की पैकिंग ट्रांसपेरेंट बोतल में होती थी, लेकिन इसकी वजह से बीयर खराब हो जाती थी।
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सफेद बोतल में पैकिंग के चलते बीयर के एसिड को सूर्य की किरणों से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट रेज खराब कर देती थी।
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इसकी वजह से बीयर में बदबू आने लगती थी और लोग नहीं पीते थे और कारोबार को भारी नुकसान होता था।
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बीयर बनाने वालों ने इस समस्या को सुलझाने के लिए एक प्लान तैयार किया और भूरे रंग की परत चढ़ी बोतलें चुनी गईं।
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ये तरकीब काम कर गई और इस रंग के बोतलों में बंद बीयर खराब नहीं हुई, क्योंकि सूरज की किरणों का असर भूरे रंग की बोतलों पर नहीं हुआ।
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बीयर की बोतल पर हरा रंग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चढ़ा। दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भूरे रंग की बोतलों का अकाल पड़ गया।
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इस रंग की बोतलें नहीं मिल रही थीं। ऐसे में बीयर निर्माताओं को एक ऐसा रंग चुनना था, जिस पर सूरज की किरण का बुरा असर न पड़े।
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तब हरे रंग को भूरे रंग की जगह चुना गया। इसके बाद से बीयर हरे रंग की बोतलों में भरकर आने लगी।
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