Dec 6, 2023
कोहरे की वजह से ट्रेनें लेट हो जाती हैं। लेकिन कई बार देर से चलने वाली ट्रेन भी समय से पहुंच जाती है।
Credit: iStock
कम दूरी वाली ट्रेनों का समय ऐसे निर्धारित होता है कि लेट होने पर भी वापसी में अपने गंतव्य स्थान पर सही समय से प्रस्थान कर सकें।
Credit: iStock
इसके अलावा लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेनों की कई अन्य जोड़ियां भी चलाई जाती हैं, जिन्हें रेक कहा जाता है।
Credit: iStock
इनके जरिए भी ट्रेनों को दूसरे दिन तय स्टेशन से निर्धारित समय पर ही प्रस्थान कराया जाता है।
Credit: iStock
अगर एक दिन पहले चली ट्रेन लेट हो जाती है, तो दूसरे रेक की मदद से अगले दिन उस ट्रेन को समय से प्रस्थान कराया जाता है।
Credit: iStock
मान लीजिए किसी बड़ी वजह से कोई ट्रेन 20 घंटे लेट हो गई तो गंत्वय स्टेशन पर खड़ी ट्रेन दूसरे रेक से समय पर चलेगी।
Credit: iStock
रेलवे ने लंबी दूरी की ट्रेन के लिए रेक की व्यवस्था की है। इस वजह से लेट होने के बाद भी ट्रेनें अपने टाइम को कवर कर लेती हैं।
Credit: iStock
भारतीय रेलवे में रेक शेयरिंग भी की जाती है। जैसे कोई ट्रेन लेट हो गई तो अन्य ट्रेन के लिए रिजर्व कोच का इस्तेमाल उसके लिए किया जाता है।
Credit: iStock
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स