Apr 15, 2024
भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और 1 लाख km से लंबे इस नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन भी किया जा रहा है।
Credit: iStock
ट्रेनों में AC के साथ-साथ नॉन-AC बोगियां भी होती हैं और ये लंबी दूरियां तय करती हैं।
Credit: iStock
ट्रेन की बोगियों को पावर-कार जनरेटर से भी बिजली प्रदान की जाती है और इसके लिए डीजल का इस्तेमाल होता है।
Credit: iStock
एक नॉन-AC कोच में हर घंटे 120 यूनिट बिजली का इस्तेमाल होता है और इसके लिए 40 लीटर डीजल की जरूरत पड़ती है।
Credit: iStock
जबकि एक AC कोच हर घंटे लगभग 210 यूनिट बिजली इस्तेमाल करता है और इसके लिए 65-70 लीटर डीजल की जरूरत पड़ती है।
Credit: iStock
हर घंटे नॉन-AC बोगी को बिजली प्रदान करने के लिए लगभग 3200 रुपये और AC वाली बोगी के लिए 5600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
Credit: iStock
दूसरी तरफ सीधा इंजन से बोगियों को बिजली प्रदान करने का तरीका रेलवे के लिए ज्यादा आसान है।
Credit: iStock
रेलवे को डायरेक्ट इंजन से नॉन-AC बोगी को बिजली देने पर 1200 रुपये और AC वाली बोगी पर 2100 रुपये ही खर्च करने पड़ते हैं।
Credit: iStock
Thanks For Reading!
Find out More