चंद्रयान को कौन दे रहा है पावर, पेट्रोल-डीजल का बाप है रॉकेट का ईंधन

Prashant Srivastav

Aug 21, 2023

इतिहास रचने के करीब

चंद्रयान-3 इतिहास रचने के करीब है और पूरी दुनिया को 23 अगस्त का इंतजार है।

Credit: ISRO

सब कुछ बेहतरीन

अभी तक चंद्रयान-3 एक दम उम्मीद के अनुसार अपनी यात्रा पथ पर है। और उसके अभी तक के सफर में उसमें इस्तेमाल होने वाले ईंधन का बेहद अहम रोल है।

Credit: ISRO

कौन देता है पॉवर

अब सवाल उठता है कि धरती से चंद्रमा तक 3,84,000 किमी के सफर के लिए कौन सा ईंधन इस्तेमाल किया गया है। जाहिर यह आम पेट्रोल और डीजल जैसा नहीं होगा।

Credit: ISRO

150 किलोग्राम ईंधन बचा

20 अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार चंद्रयान -3 में 150 किलोग्राम ईंधन बचा हुआ था। चंद्रयान-3 में ठोस और तरल ईंधन का इस्‍तेमाल हुआ है और अंतिम स्टेज में क्रायोजेनिक इंजन काम करेगा। वहीं चंद्रयान-2 में Unsymmetrical Di-Methyl Hydrazine का इस्तेमाल किया गया था।

Credit: Twitter

दो मंजिल साइज का टैंक

नासा ने रॉकेट ईंधन के टैंक की कुछ तस्वीरें साझा की थी। जिसे देखकर समझा जा सकता है रॉकेट में कितना विशालकाय टैंक का इस्तेमाल होता है।

Credit: NASA

प्रोपेलेंट क्यों कहते हैं

रॉकेट के ईंधन को प्रोपेलेंट भी कहते हैं। जिसमें क्रॉयोजीन, पेट्रोलियम और हाइपर गॉलिक्स का मिश्रण होता है।

Credit: NASA

अंतरिक्ष में ऐसे मिलती है पावर

लिक्पिड प्रोपेलेंट दो हिस्से में बंटा होता है। इसके एक हिस्से में ईंधन और दूसरे हिस्से में ऑक्सीडाइजर होता है। और अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होने पर ऑक्सीडाइजर ही रॉकेट को पावर देता है।

Credit: NASA

कितनी होती है कीमत

नासा के 2008 के मिशन पर प्रोपेलेंट पर 46 लाख डॉलर का खर्च आया था। इसी तरह यूरोपियन एरियन-5 पर 50 लाख डॉलर का खर्च आया था। जो आज के हिसाब से करीब 35-40 करोड़ रुपये बनते हैं।

Credit: NASA

इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स

Next: 3 साल मजे लेकर क्रूज से करिए ऑफिस का काम, ऑफर ऐसा कि तुरंत खरीद लेंगे टिकट

ऐसी और स्टोरीज देखें