prabhat sharma
Sep 15, 2024
अंगराज कर्ण की गिनती महाभारत के महानतम योद्धाओं में होती है। कर्ण इतने बलशाली थे कि उनको मारने के लिए छल का सहारा लेना पड़ा था।
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कर्ण कवच-कुंडल के साथ ही पैदा हुए थे। कवच-कुंडल कर्ण की शक्ति को और बढ़ाता था। हालांकि, छल से ही इंद्र देव ने कर्ण से उनके कवच-कुंडल को दान में मांग लिया था।
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माना जाता है कि कर्ण का कवच और कुंडल आज भी पृथ्वी पर ही मौजूद है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्थित एक रहस्यमयी गुफा में कर्ण का कवच-कुंडल रखा हुआ है।
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माना जाता है कि छल से जब कर्ण का कवच-कुंडल लेकर इंद्र देव स्वर्ग जा रहे थे तो इस बात से सूर्य देव काफी नाराज हो गए थे और उन्होंने इंद्र को श्राप दिया था।
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मान्यता है कि इसी श्राप के चलते इंद्रदेव का पहिया छत्तीसगढ़ के बीजापुर के पास स्थित इसी गुफा के पास धंस गया था। जिसके चलते इंद्रदेव आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।
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माना जाता है कि इंद्रदेव ने कर्ण का कवच-कुंडल इसी गुफा में छिपा दिया था। हालांकि, इस गुफा के आस-पास जाना बिल्कुल भी खतरे से खाली नहीं है।
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रायपुर एयरपोर्ट पर उतरकर आप वहां से बीजापुर के लिए यात्रा कर सकते हैं। वहीं ट्रेन से अगर आप यात्रा करना चाहते हैं तो रायपुर रेलवे स्टेशन बीजापुर के सबसे नजदीक है।
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अगर आप बीजापुर पहुंचने के लिए सड़क यात्रा कर रहे हैं तो रायपुर से यहां तक पहुंचने में आपको 6 से 7 घंटे लग सकते हैं।
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बीजापुर में प्राचीन शिल्पकला और वास्तुकला से बनी तमाम गुफाएं हैं। हालांकि, उस रहस्यमयी गुफा तक आप पहुंचे इस बात की संभावना ना के बराबर है।
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