Dec 15, 2023

दो पैरों और बिना नट-बोल्ट के टंगा है हावड़ा ब्रिज, आज भी ये टेक्नोलॉजी सबका बाप

Vishal Mathel

रवींद्र सेतु

हावड़ा ब्रिज, कैंटिलीवर पुल है। यह पुल, हुगली नदी पर बना है। इसका असली नाम रवीन्द्र सेतु है।

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1943 में शुरू हुआ

इस पुल का निर्माण ब्रिटिश राज के दौरान 1939 में शुरू हुआ था और 1943 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया था. यह पुल, हर रोज लाखों वाहन गुजारने की क्षमता रखता है।

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दो स्तंभों पर टिका है पुल

दो स्तंभों पर टिका यह ब्रिज, नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो स्तंभों पर टिका हुआ है।

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1500 फीट तक कोई पिलर नहीं

इन दोनों स्तंभों के बीच की दूरी डेढ़ हज़ार फीट है। पुल में नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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धातु की रिवेट्स से जुड़ा है पुल

पुल को बनाने में स्टील की प्लेटों को जोड़ने के लिए नट-बोल्ट की बजाय धातु की बनी कीलों यानी रिवेट्स का इस्तेमाल किया गया है।

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पुल का डिजाइन

हावड़ा ब्रिज को तीन सेगमेंट्स में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक सेगमेंट को अलग-अलग स्थानों से खींचा जा सकता है।

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हावड़ा ब्रिज टेक्नोलॉजी

इस पुल में वायर रोप तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे पुल को सहारा मिलता है और इसकी सुरक्षा बनी रहती है।

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​वायर रोप टेक्नोलॉजी​

वायर रोप ​टेक्नोलॉजी में वायर को स्टील के रोपों से बांधा जाता है।

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