Mar 20, 2024

जंगल-पहाड़ों में भी कम्यूनिकेट करते हैं रेलवे कर्मचारी, जानें क्या है यह टेक्नोलॉजी

Vishal Mathel

​भारत का रेल नेटवर्क

भारत का रेल नेटवर्क 68,103 KM का है, जो कनाडा (48,150 किलोमीटर) और ऑस्ट्रेलिया (43,820 किलोमीटर) जैसे देशों से भी ज्यादा है।

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कई जगह नहीं होता मोबाइल नेटवर्क

भारत में ट्रेन जंगल-पहाड और ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरती है। इन जगहों पर मोबाइल नेटवर्क बहुत ज्यादा कमजोर होता है।

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खतरे में iPhone यूजर्स

कैसे होता है कम्यूनिकेट​

ऐसे में कई बार ट्रेन में मौजूद लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर, मोबाइल से कम्यूनिकेट नहीं कर पाते हैं।

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कैसे कम्यूनिकेट करते हैं रेलवे कर्मचारी

रेलवे कर्मचारी कम्यूनिकेशन के लिए रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग करते हैं। इसकी मदद से वे बिना इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क के भी बातचीत कर सकते हैं।

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वॉकी टॉकी

रेडियो कम्युनिकेशन के लिए रेलवे कर्मचारी वॉकी टॉकी का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि वॉकी-टॉकी एक वायरलेस कम्युनिकेशन डिवाइस है।

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बिना नेटवर्क के करता है काम

वॉकी टॉकी रेडियो फ्रिक्वेंसी पर काम करता है। इसे मोबाइल नेटवर्क की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, यह 2 से 5 किलोमीटर तक के दायरे में काम कर सकता है।

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कैसे होती है बात

वॉकी-टॉकी, रेडियो सिग्नल के जरिए एक वॉकी-टॉकी से दूसरे तक आवाज पहुंचाता है। इसके लिए दोनों वॉकी-टॉकी को एक ही रेडियो फ्रीक्वेंसी पर सेट करना होता है।

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मोबाइल से कितना अलग

वॉकी-टॉकी, मोबाइल या फिक्स्ड टेलीफोन की तरह एक ही समय में दो लोगों को बात करने की अनुमति नहीं देता है। यानी वॉकी-टॉकी में एक समय में एक ही तरफ का व्यक्ति बोल सकता है।

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