Sep 11, 2024
रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री प्राइवेट गाड़ियों के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लगवाने की सलाह दी है।
Credit: Canva/istock
इस सिस्टम की मदद से प्राइवेट गाड़ियों का रोजाना 20 किलोमीटर तक का सफर फ्री किया जाएगा। यह नियम हाईवे और एक्सप्रेस वे पर भी लागू रहेगा। यानी रोजाना 20KM तक के लिए आपको टोल टैक्स नहीं देना होगा।
Credit: Canva/istock
GNSS को टोल कलेक्शन के नए तरीके के रूप में लाया गया है। इसके बाद वाहनों का टोल टैक्स वसूलने के लिए टोल प्लाजा की जरूरत नहीं रहेगी। बल्कि सैटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम की मदद से टोल वसूला जाएगा।
Credit: Canva/istock
इसके लिए हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBUs) के साथ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GNSS) लगा होगा, जो ऑटोमेटिक यात्रा की दूरी के आधार पर टैक्स काट लेगा।
Credit: Canva/istock
GNSS एक सैटेलाइट आधारित नेविगेशन सिस्टम है, जो गाड़ियों को ट्रैक करने का काम करता है। इस सिस्टम को ही कार में लगाया जाएगा और यह Fastag के साथ काम करेगा।
Credit: Canva/istock
GNSS पृथ्वी पर किसी डिवाइस की लोकेशन, समय और स्पीड की गणना करने के लिए सैटेलाइट नेटवर्क का उपयोग करता है। इसकी मदद से वाहन की सटीक लोकेशन पता की जा सकती है। यानी आपके वाहन को भी हमेशा ट्रैक किया जा सकता है।
Credit: Canva/istock
GNSS में सैटेलाइट, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन को एक सिग्नल भेजता है, जिसमें उसका समय, ऑर्टविट और स्टेटस शामिल होता है। ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन इन सिग्नल का एनालिसिस करता है और उन्हें ऑर्टविट और समय सुधारकर वापस भेजते हैं।
Credit: Canva/istock
GNSS में रिसीवर डिवाइस की लोकेशन, समय और स्पीड का अनुमान लगाने के लिए डेटा को मर्ज करता है और कलमन फिल्टरिंग जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है। और वाहन की सटीक लोकेशन बताता है।
Credit: Canva/istock
Thanks For Reading!
Find out More