Oct 19, 2023
इन दिनों क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट भारत में चल रहा है, आईसीसी वनडे क्रिकेट विश्व कप 2023। पूरा भारत ही नहीं, दुनिया भर के क्रिकेट फैंस की नजरें इस टूर्नामेंट पर टिकी हैं।
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मैदान पर मैच देखने हजारों क्रिकेट फैंस पहुंच रहे हैं। इनमें कुछ फैंस खेल के बारे में सब कुछ जानते हैं, कुछ थोड़ा बहुत जानते हैं और कुछ ऐसे भी है जो बहुत कुछ जानना चाहते हैं। तो सोचा कि आपको क्रिकेट से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताएं।
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सवाल ये है कि आखिर सिर्फ तीन स्टंप क्यों होते हैं, दो क्यों नहीं, चार क्यों नहीं। इसके पीछे भी इतिहास है और वो भी बेहद दिलचस्प। आइए उसके बारे में जानते हैं।
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क्रिकेट की जब शुरुआत हुई तो उस दौरान दो तरफ सिर्फ दो स्टंप हुआ करते थे। इसे विकेट गेट भी कहा जाता था। लेकिन एक गेंदबाज की गेंद तीन बार इसके बीच से निकल गई लेकिन बल्लेबाज आउट नहीं हुआ, इसलिए 1775 में बीच के स्टंप को लगाने का फैसला हुआ।
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जैसे-जैसे क्रिकेट आगे बढ़ा स्टंप को लेकर तमाम तरह के नियम भी तैयार किए जाने लगे। जैसे एक नियम ये है कि रन आउट या स्टंपिंग करते समय जब विकेट बिखेरे जाएं तो गेंद आपके हाथ में होनी चाहिए वर्ना आउट नहीं माना जाएगा।
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इसके अलावा हिट-विकेट नियम भी लाया गया, जहां अगर बल्लेबाज खुद से विकेट बिखेर दे तो इसे आउट माना जाएगा।
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कुछ ऐसे मौके भी आए जब स्टंप से गेंद टकराती थी लेकिन गिल्लियां नहीं गिरती थीं। इसे आउट नहीं माना जाता और आज भी ये नियम जारी है। बेल्स में लाइट लगाने के बाद अब तो ऐसा होता दिखता भी है लेकिन जब तक गिल्लियां टिकी रहेंगी बल्लेबाज आउट नहीं है।
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जब क्रिकेटर अभ्यास करते हैं तो स्टंप के साथ वो अलग-अलग तरह से तैयारी करते हैं। कई बार सिर्फ एक स्टंप लगाकर भी तैयारी होती है ताकि गेंदबाज को सटीक निशाने पर गेंद फेंकने का अभ्यास हो सके।
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क्रिकेट में पिच को भी विकेट कहा जाने लगा और स्टंप को विकेट पहले से कहते आते थे। यानी दो शब्द और उसके अलग-अलग मायने।
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विकेट या स्टंप को लेकर प्रैक्टिस के दौरान क्रिकेटर आज कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं और ऐसे ही प्रयोग फील्डिंग के अभ्यास में भी इस्तेमाल होते हैं।
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