Aug 3, 2023

एक टांग पर क्यों खड़ा अंपायर, 111 और 87 रन क्रिकेट में अनलकी

शिवम अवस्थी

अनोखा खेल है क्रिकेट

क्रिकेट एक बेहद अनोखा खेल है। ये जितना पुराना है, उतनी ही पुरानी इससे जुड़ी बातें और कुछ ऐसी चीजें भी जिससे ज्यादातर लोग अनजान हैं। क्या आपको क्रिकेट के अनलकी रनों के बारे में पता है। आइए आपको बताते हैं।

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111 नंबर क्यों है अनलकी?

क्रिकेट इतिहास में कई किस्से ऐसे रहे जब 111 नंबर को अनलकी माना जाता रहा। ये एक तरह से दर्शाता है बिना गिल्लियों के खड़े तीन स्टंप। इसकी आगे की कहानी भी दिलचस्प है।

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इसका नाम पड़ा 'नेल्सन'

111 नंबर को नेल्सन नाम दिया गया। ये नाम पूर्व ब्रिटिश नेवी अफसर होराटियो नेल्सन पर रखा गया। जंग में उनके चोटिल होने की कुछ अफवाहों के चलते उनका नाम चर्चा में रहा था और यही नाम इस अनलकी स्कोर का पड़ गया।

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एक पैर पर क्यों खड़ा हुआ अंपायर?

एक दौर रहा जब इंग्लैंड के पूर्व अंपायर जैसे डिकी बर्ड और डेविड शेफर्ड 111 का स्कोर होते ही एक टांग पर खड़े हो जाते थे। वो तब तक ऐसा करते थे जब तक स्कोर बदल ना जाए। मान्यता थी कि ये स्कोर कुछ अनहोनी करा देगा।

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नेल्सन क्रिकेट टीम का किस्सा भी मशहूर

न्यूजीलैंड की नेल्सन क्रिकेट टीम का एक किस्सा भी इससे जुड़ा रहा। उन्होंने 1874 से 1891 के बीच प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला। उनकी टीम के इतिहास की पहली और आखिरी पारी, दोनों पर टीम 111 रन पर सिमट गई थी।

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कोई अनहोनी ना हो जाए

इसी वजह से पहले की अनोखी क्रिकेट मान्यताओं को तवज्जो देने वाले मानते थे कि 111 पर कुछ बड़ी अनहोनी हो सकती है।

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तूफान से लेकर चोट लगने तक

ये मान्यताएं यहां तक थीं कि 111 नंबर अगर ज्यादा देर तक स्कोरबोर्ड पर रहा तो तूफान आने से लेकर खिलाड़ी के चोटिल होने तक की संभावना होगी। एक मैच में तो जब घड़ी पर 11:11 बजे थे और द.अफ्रीका को जीत के लिए 111 रन चाहिए थे तो अंपायर सहित कई दर्शक भी एक पैर पर खड़े हो गए थे।

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बदल गया दौर

दौर बदला और पुरानी बातें पीछे छूटती गईं। आज भी 111 के स्कोर पर कुछ कमेंटेटर नेल्सन की चर्चा कर देते हैं लेकिन अंपायर एक पैर पर खड़े होते नजर नहीं आते।

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एक और अनलकी स्कोर

111 के अलावा 87 के स्कोर को भी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में लंबे समय तक अनलकी माना जाता रहा। ये स्कोर सेंचुरी से 13 रन कम है और 13 को अपशगुन मान जाता रहा है। एक बार ब्रैडमैन 89 पर आउट हुए लेकिन स्कोरबोर्ड पर 87 दिखा जिसके बाद ये चर्चा का विषय बन गया।

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अंधविश्वास का खेल अब भी

अब भी क्रिकेट में अंधविश्वास कायम है, लेकिन कुछ अलग-अलग तरह से। जैसे कोई खिलाड़ी अपना दायां पैड पहले पहनता है, कोई अपना बायां ग्लव बाद में पहनेगा, ऐसे ही खिलाड़ियों के तमाम अंधविश्वास या कहें उनकी पसंद-नापसंद जारी है।

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