Nov 23, 2023
क्रिकेट उन खेलों में हैं जिसमें कई उपकरणों का इस्तेमाल होता है। इन उपकरणों के बिना क्रिकेट अधूरा है। इनमें से सबसे प्रमुख उपकरण है बल्ला या बैट।
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आमतौर पर क्रिकेट की दुनिया में दो प्रकार के बैट सबसे ज्यादा प्रचलन में रहे हैं। एक जिसे इंग्लिश विलो कहा जाता है और दूसरा कश्मीर विलो। विलो यानी वो लकड़ी जिससे ये तैयार होता है। इसके पेड़ दुनिया के दो हिस्सों में पाए जाते हैं, यूरोप और भारत के कश्मीर में।
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यूरोप के ज्यादा ठंडे देशों में पाए जाने वाले सेलिक्सा एल्बा पेड़ों से जो लकड़ी आती है उससे इंग्लिश विलो बैट तैयार होते हैं।
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वहीं सेलिक्सा एल्बा कश्मीर में भी पाए जाते हैं जिसकी लकड़ी से बनने वाले क्रिकेट बैट को कश्मीर विलो बैट कहा जाता है।
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भारत में कश्मीर विलो बैट का बड़ा बिजनेस मौजूद है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में ये काफी घटा जरूर है लेकिन अब भी इसके तमाम कारखाने सक्रिय हैं और स्थानीय स्तर पर इन बल्लों की काफी मांग रहती है।
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इंग्लिश विलो बैट का रंग सफेद होता है और इस पर काफी चमक भी होती है।
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वहीं कश्मीर विलो का रंग आमतौर पर थोड़ा गहरा होता है और इसका वुड ग्रेन भी काफी उभरा हुआ होता है।
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वैसे इंग्लिश विलो बैट के आसानी से टूटने के आसार बने रहते हैं लेकिन फिर भी दुनिया भर में ये बॉल हिटिंग में बेहतर विकल्प माना जाता है। जबकि कश्मीर विलो को अगर सही से रखा जाए तो ये काफी लंबे समय तक चलता है हालांकि ये बॉल हिटिंग के मामले में इंग्लिश विलो से थोड़ा पीछे है।
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भारत में स्थानीय तौर पर तो कश्मीर विलो बैट की काफी मांग रहती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ज्यादातर भारतीय क्रिकेटर भी इंग्लिश विलो बैट का उपयोग करना ही बेहतर मानते आए हैं।
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इंग्लिश विलो के मुकाबले कश्मीर विलो बैट काफी सस्ता होता है। एक अच्छे कश्मीर विलो बैट को तीन से चार हजार रुपये के बीच खरीदा जा सकता है। वहीं एक अच्छा इंग्लिश विलो बैट 10 हजार से लेकर लाख रुपये की कीमत तक भी जा सकता है।
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