Jul 19, 2023
भारत में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कंचे का खेल ना खेला हो, या फिर इसके बारे में ना सुना हो।
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कंचे का खेल का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जाता है। इसके प्रमाण भारत में मोहनजो दारो की प्राचीन सभ्यता से भी मिले और प्राचीन मिस्र और रोम से भी मिले हैं। बेशक भारत में ये सिमटता रहा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी भी वर्ल्ड चैंपियनशिप होती है।
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कंचों के खेल इंग्लैंड में 1588 से खेला जाता रहा है। इसकी विश्व चैंपियनशिप 1932 में वेस्ट ससेक्स में 1932 में शुरू हुई थी और आज भी परंपरा जारी है।
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इसे ब्रिटिश एंड वर्ल्ड मार्बल्स विश्व चैंपियनशिप कहा जाता है। हर बार कंचों की इस विश्व चैंपियनशिप में दुनिया भर से 20 टीमें हिस्सा लेती हैं।
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इस चैंपियनशिप में अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड सहित दुनिया के कई देशों की टीमों के अलावा ब्रिटेन की कई स्थानीय टीमें भी हिस्सा लेती हैं। यहां ज्यादातर इंग्लैंड और जर्मनी का दबदबा रहा है।
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इस चैंपियनशिप में महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं और वो भी इस खेल की कला में किसी से पीछे नहीं रहती।
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दशकों से चली आ रही इस चैंपियनशिप में कुछ खिलाड़ियों के कमाल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हैं।
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चैंपियनशिप जीतने वाली टीम को ट्रॉफी व प्राइज मनी के साथ-साथ पदक भी मिलते हैं। रनर-अप ट्रॉफी के साथ कुछ व्यक्तिगत वर्ग के अवॉर्ड भी होते हैं।
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पिछले दो सालों की विश्व चैंपियनशिप में इंग्लैंड की टीमें विजेता रही हैं जबकि जर्मनी की टीमें दूसरे नंबर पर रही हैं।
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इस चैंपियनशिप का आयोजन हर साल 'गुड फ्राइडे' के दिन होता है। त्योहार की वजह से छुट्टियां होती हैं और भारी संख्या में लोग यहां जुटते हैं। इस साल इसका आयोजन 7 अप्रैल को हुआ था।
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