Nov 28, 2022
By: लवीना शर्माहिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए पैरों में बिछिया पहनने का रिवाज प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। हमारे शास्त्रों की मानें तो सुहागिन स्त्रियों को बिछिया जरूर पहननी चाहिए।
बिछिया वास्तव में विवाहित स्त्रियों के श्रृंगार का आखिरी आभूषण माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पैरों में चांदी की बिछिया जीवन पर चन्द्रमा का प्रभाव बनाये रखने के लिए पहना जाता है।
ज्योतिष अनुसार चन्द्रमा विशेष रूप से मन को शांत करके शीतलता प्रदान करता है इसलिए पैरों में चांदी की बिछिया पहनने का विशेष महत्व है।
बिछिया पैर के अंगूठे की बराबर वाली उंगली में पहनी जाती है। इस उंगली से शरीर की कई नसें जुड़ी होती है, इसलिए यहां पर चांदी की बिछिया पहनने से सेहत को लाभ मिलता है।
बिछिया एक खास नस में प्रेशर डालती है। इतना ही नहीं गर्भाशय में खून के प्रभाव को भी बेहतर बनाती है, जिससे गर्भधारण करने की क्षमता बढ़ती है।
बिछिया पहनना एक तरह से एक्यूप्रेशर का भी काम करता है, जिससे पैरों के तलवे से लेकर नाभि तक की नसें सामान्य रूप से काम करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार बिछिया पहनने से तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़ियां ठीक तरह से काम करती हैं। खासतौर से मछली के आकार की बिछिया पहनने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है इससे उंगली में बेहतर एक्यूप्रेशर होता है।
ज्योतिष के अनुसार कभी भी महिलाओं को सोने की बिछिया नहीं पहननी चाहिए। यदि महिलाएं पैर में सोने की बिछिया पहनती हैं तो माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं जिससे पति को धन की हानि होती है।
कभी भी अपने पैर में पहनी हुई बिछिया किसी दूसरे को नहीं देनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस गलती से पति को आर्थिक नुकसान होता है।
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स