5 गांव जो पांडवों ने मांगे थे जानिए अब क्या हैं इनके नाम
लवीना शर्मा
महाभारत का युद्ध कई कारणों से हुआ था जिनमें से एक कारण राज्य बंटवारे को लेकर था।
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राज्य के बंटवारे को लेकर बनाई गई ये रणनीति
जब राज्य के बंटवारे को लेकर कोई हल नहीं निकला तो द्युतक्रीड़ा का आयोजन किया गया। द्युतक्रीड़ा में पांडव इन्द्रप्रस्थ सहित सबकुछ हार गए। उनको 12 वर्ष का वनवास मिला।
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वनवास काल में पांडवों ने अपनी शक्ति को बढ़ाया और कौरवों से युद्ध करने की ठानी।
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पांडवों की ओर से युद्ध टालने के बदले 5 गांव की मांग की गई।
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श्रीपत (सिही) या इन्द्रप्रस्थ
दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत में इन्द्रप्रस्थ के रूप में मिलता है।
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बागपत
इसे महाभारत काल में व्याघ्रप्रस्थ कहा जाता था। व्याघ्रप्रस्थ यानी बाघों के रहने की जगह। यही जगह मुगलकाल से बागपत के नाम से जाने लगी। यह उत्तरप्रदेश का एक जिला है।
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सोनीपत
सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ कहा जाता था। स्वर्णपथ का मतलब 'सोने का शहर'।
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पानीपत
पानीपत को पांडुप्रस्थ कहा जाता था। इसी पानीपत के पास कुरुक्षेत्र है, जहां महाभारत की लड़ाई हुई। पानीपत राजधानी नई दिल्ली से 90 किलोमीटर उत्तर में है।
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तिलपत
तिलपत को पहले तिलप्रस्थ कहा जाता था। यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है।
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