Sep 20, 2023
लखनऊ के इस अनोखे मंदिर की वजह से भक्तों को एक ही छत के नीचे पूरे 51 शक्तिपीठ के दर्शन होते हैं।
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बता दें, 51 शक्तिपीठ अलग अलग शहर में हैं, यहां तक कि कुछ शक्तिपीठ पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल में भी है।
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हिंदू धर्म में 51 शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth) की बहुत मान्यता है। 51 शक्तिपीठ क्या है, यह कहां कहां स्थिति है आइये जानते हैं।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती के पिता यानी दक्ष प्रजापति ने एक महायज्ञ का आयोजन किया, जिसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया।
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इस यज्ञ में माता सती को भी नहीं बुलाया गया, लेकिन माता सती ने भगवान शिव का इतना बड़ा अपमान देखकर यज्ञस्थल पर पहुंच कर, अपने पिता दक्ष प्रजापति से सवाल किया, जिस पर दक्ष ने भगवान शिव को अपमानित किया।
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दुखी होकर माता सती ने उसी यज्ञ में अपनी जान दे दी, जिसके बाद भगवान शिव वियोग में चले गए, और अपनी पत्नी का शव कंधे पर लेकर इधर उधर भटक रहे थे।
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यह दृश्य देखकर सभी देवी देवता हैरान थे, ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए। ताकि भगवान शिव उनके वियोग से बाहर आ सकें।
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इसके बाद यह अंग जहां जहां गिरे उन स्थानों को शक्तिपीठ माना जाता है। मान्यता है यहां पहुंचने वाले हर भक्त का दर्शन सफल होता है।
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51 शक्तिपीठ वाला यह मंदिर लखनऊ व बीकेटी के बॉर्डर है, जहां आप सीतापुर रोड के जरिये पहुंच सकते हैं। यह मंदिर बहुत पुराना नहीं है बल्कि इसकी स्थापना 1998 में की गई थी।
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51 शक्तिपीठ धाम में भारत के विभन्न स्थानों पाकिस्तान, चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में स्थित ओरिजनल शक्तिपीठों की रज लाकर उनकी प्रतिमाओं की स्थापना की गई है।
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