Jan 12, 2023
By: लवीना शर्मादुनिया में महिला पुरुष के अलावा एक अन्य वर्ग भी होता है जिन्हें किन्नर के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक कथाओं में भी कई किन्नरों का जिक्र किया गया है। महाभारत में भीष्म की मृत्यु का कारण भी एक किन्नर को ही बताया जाता है जिसका नाम शिखंडी था।
अब सवाल उठता है कि स्त्री पुरुष के बीच एक अलग वर्ग कैसे जन्म ले लेता है। जानिए इस विषय में ज्योतिषशास्त्र और पुराण क्या कहते हैं?
ज्योतिषशास्त्र अनुसार अगर जन्मपत्री के आठवें घर में शुक्र और शनि मौजूद हों और इन पर गुरू, चन्द्र की दृष्टि नहीं पड़ रही हो तो व्यक्ति नपुंसक हो सकता है।
कुंडली में जिस घर में शुक्र बैठा हो उससे छठे या आठवें घर में शनि मौजूद हो तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो सकती है। लेकिन अगर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि है तो इस तरह की समस्या से बचाव होता है।
अगर जन्म के समय कुंडली में शनि छठे या बारहवें घर में कुंभ या मीन राशि पर हों और ऐसे में यदि कोई शुभ ग्रह शनि को नहीं देख रहा हो तो व्यक्ति में प्रजनन क्षमता की कमी हो सकती है और व्यक्ति किन्नर हो सकता है।
यदि मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ लग्न हो और वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन राशि में मंगल हो और इसकी दृष्टि लग्न स्थान यानी पहले घर के स्वामी पर हो तो व्यक्ति किन्नर हो सकता है।
ऐसा माना जाता है कि वीर्य की अधिकता होने से पुरुष संतान और रक्त की अधिकता से कन्या संतान की प्राप्ति होती है। लेकिन जब गर्भ धारण में रक्त और रज की मात्रा बराबर हो जाती है तो व्यक्ति नपुंसक पैदा होता है।
शास्त्रों के अनुसार पूर्व जन्म के पाप कर्मों के कारण व्यक्ति को किन्नर के रूप में जन्म मिलता है। शास्त्रों में इसे शाप से पाया हुआ जीवन कहा जाता है।
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