Oct 11, 2022
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व माना जाता है। शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है।
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ये मकर और कुंभ राशियों के स्वामी हैं। तुला इनकी उच्च राशि है तो मेष नीच राशि मानी जाती है।
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शनि का गोचर एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे धीमी होती है।
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शनि साढ़े साती एक साथ 3 राशियों पर चलती है ये किसी भी व्यक्ति पर पूरे साढ़े सात साल तक रहती है। जबकि शनि ढैय्या एक साथ दो राशियों पर रहती है। इसकी अवधि ढाई साल की होती है।
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3 राशियां शनि देव की बेहद प्रिय मानी जाती है। ये राशियां हैं तुला, मकर और कुंभ। कहते हैं इन राशियों पर शनि की विशेष कृपा रहती है।
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इन राशियों के जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं वो लोग करियर में बेहद ऊंचाइयां छूते हैं।
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क्योंकि तुला, मकर और कुंभ तीनों ही राशियां शनि के बेहद खास मानी जाती हैं। इसलिए इन राशियों के लोगों पर शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या कै उतना बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
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अगर इन राशियों के लोग हर शनिवार शनि देव की विधि विधान पूजा करते हैं तो इन्हें शनि देव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे इन्हें हर काम में सफलता मिलने के आसार रहते हैं।
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इन राशियों के लोगों को शनिवार में शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही शनि देव की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
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