Mar 15, 2025

देवराज इंद्र नहीं उनके वाहन के कारण होती है वर्षा, जान‍िए ऐरावत से जुड़ी मान्यता

Laveena Sharma

​ऋषि कश्यप का पुत्र​

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐरावत ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी इरावती का पुत्र था, जिनके नाम पर इसका नाम ऐरावत पड़ा।

Credit: canva

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​देवराज का वाहन​

ऐरावत कोई साधारण हाथी नहीं बल्कि देवताओं के राजा इंद्र का दिव्य वाहन है, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

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​ऋषि दुर्वासा का श्राप​

ऐरावत के कारण इंद्र देव ने ऋषि दुर्वासा की दी हुई माला का अपमान किया, जिससे ऋषि ने श्राप दिया कि देवता अपनी शक्ति और ऐश्वर्य खो देंगे।

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​समुद्र मंथन का कारण​

दुर्वासा ऋषि के श्राप से बचने और खोई हुई शक्तियों को वापस पाने के लिए ही इंद्र देव और अन्‍य देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

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​समुद्र मंथन से पुनः जन्म​

ऐरावत हाथी का जन्म समुद्र मंथन के समय 14 दिव्य रत्नों में से एक के रूप में हुआ था। ज‍िसे देवराज इंद्र ने स्‍वीकार क‍िया था।

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​वर्षा से जुड़ाव​

ऐरावत को अभ्र-मतंग यानी कि बादलों का हाथी कहा जाता है क्योंकि ये मेघों को बुलाकर वर्षा करा सकता है। मान्‍यताओं के अनुसार इसे जल और जीवन का प्रतीक भी माना जाता है।

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​दिशाओं का दिग्गज​

ऐरावत की चार या दस सूंड होने की मान्यता है, ज‍िसे दसों दिशाओं में गति करने वाला दिग्गज कहा जाता है।

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​देवलोक की रक्षा​

ऐरावत न केवल इंद्र देव का वाहन है बल्कि वो स्वर्ग लोक की रक्षा भी करता है। ये द‍िव्‍य हाथी देवराज इंद्र को युद्ध में शक्ति भी प्रदान करता है।

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​टूटा दांत ​

पौराणि‍क मान्‍यता के अनुसार असुर शूरपद्मा ने ऐरावत का दांत तोड़ दिया था, जिससे वो कमजोर हो गया। लेकिन भगवान शिव की कृपा से उसका दांत पुनः सही हो गया था।

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