लवीना शर्मा
Dec 4, 2022
ज्योतिष में शनि देव को कर्मफल दाता कहा जाता है। इसका मतलब है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि की प्रिय राशियां तुला, कुंभ और मकर हैं। क्योंकि तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं तो मकर और कुंभ के ये स्वामी ग्रह हैं।
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शनि ग्रह को आयु, दुख, तकनीकि का कारक माना जाता है। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह हैं। तुला में उच्च के होते हैं तो मेष में नीच के हो जाते हैं।
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जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है वो व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है। शनि 27 नक्षत्रों में तीन नक्षत्र पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद के स्वामी हैं।
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हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार शनि देव सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं अनुसार शनि सूर्य देव के विरोधी हैं। इसलिए इन दोनों ग्रहों की युति को शुभ नहीं माना जाता।
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पौराणिक कथाओं अनुसार शनि देव को ये उपाधि भगवान शिव ने दी थी। इसलिए शनि मनुष्य को कर्म के अनुसार फल देते हैं।
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'ओम शं शनैश्चराय नमः' शनि देव के इस बीज मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
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शनि को मजबूत करने के लिए रत्न ज्योतिष नीलम धारण करने की सलाह देते हैं।
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हर शनिवार शनि मंदिर में दर्शन के लिए जाएं। वहां जाकर शनि की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
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